Jamshedpur : मिर्जाडीह बांध विस्थापित एवं रैयत संघर्ष मोर्चा का डीसी कार्यालय पर धरना, हजारों ग्रामीण पारंपरिक औजारों के साथ हुए शामिल

  • टाटा कंपनी और प्रशासन के खिलाफ उठी आवाज, कई घंटों तक ठप्प रहा आवागमन
  • विस्थापितों ने दी चेतावनी – समाधान नहीं तो और उग्र होगा आंदोलन

जमशेदपुर : मिर्जाडीह बांध एवं टाटा कंपनी विस्थापितों व रैयतों की मूलभूत समस्याओं को लेकर मंगलवार को हजारों ग्रामीणों ने उपायुक्त कार्यालय पर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। पारंपरिक औजारों के साथ पहुंचे ग्रामीण डीसी कार्यालय गेट के सामने ही सड़क पर बैठ गए और प्रशासन तथा टाटा कंपनी के खिलाफ जमकर नारे लगाए। प्रदर्शन के चलते कई घंटों तक आवागमन बाधित रहा। प्रदर्शनकारियों ने डीसी के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि विस्थापित और आसपास के गांवों के लोग गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन प्रशासन समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि टाटा कंपनी द्वारा अवैध जमीन कब्जा और प्रशासन की उदासीनता के कारण कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है।

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प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया प्रशासन और टाटा कंपनी की मिलीभगत से बढ़ रहा विवाद

धरना के दौरान विस्थापितों ने अपनी कई मांगें प्रशासन के सामने रखीं। पहली मांग में कहा गया कि 5 अगस्त 2025 को राजकीय शोक के दौरान मिर्जाडीह रैयतों के घर तोड़ने वाले दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी हो और अंचल कार्यालय की मिलीभगत से जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जे को तत्काल रोका जाए। दूसरी मांग के तहत बारूबेड़ा, आमदा पहाड़ी, जहर टोला, जेरका, खुखडत्रीपाड़ा, कोजोल दोय, तिलटॉड, पारूकोचा, तुरीकोचा, सारी, बुढ़ीगोड़ा, मोहनपुर, मोहुलबासा, रांगामाटियां, बाटालुका, हासाडुंगरी, नुतनडीह, पुनसा, सिरिघुटु, कोलाबनी, व्रजपुर, राहरगोडा, होतात बस्ती, गेरूआ, चिरूगोड़ा और मिर्जाडीह सनेतरू सहित दर्जनों गांव में वन अधिकार संशोधन नियम 2012 की धारा-3 (1)(i) के तहत सड़क निर्माण कराया जाए। ग्रामीणों ने बताया कि मुख्य सड़क से जुड़ाव न होने के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति बेहद खराब है और मौत दर भी अधिक है।

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ग्रामीणों ने सड़क, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए उठाई मांग

तीसरी प्रमुख मांग में टाटा कंपनी विस्थापित एवं मिर्जाडीह बांध विस्थापितों को विस्थापना प्रमाण पत्र जारी करने की बात कही गई। चौथी मांग के अनुसार, टाटा लीज नवीनीकरण कमिटी में विस्थापित प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। पांचवीं मांग के तहत 1908 और 1932 खतियान के आधार पर विस्थापितों का अविलंब सर्वेक्षण कराए जाने की मांग उठाई गई। ग्रामीणों ने कहा कि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान जरूरी है, ताकि क्षेत्र में शांति और विधि-व्यवस्था कायम रहे और विकास की दिशा में सकारात्मक माहौल बन सके। संघर्ष मोर्चा ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही प्रशासन और सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

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