खड़गपुर: पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खड़गपुर में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के भीतर असंतोष की लहर बढ़ती दिख रही है। जिले और शहर के नेतृत्व से नाराज़ निष्क्रिय कार्यकर्ता अब “साइलेंट तृणमूल” के नाम से एकजुट हो गए हैं। दिलचस्प यह है कि पार्टी का स्थानीय नेतृत्व इस समूह के अस्तित्व को मानने से ही इनकार कर रहा है।
हाल ही में खड़गपुर के खरीड़ क्षेत्र स्थित एक गिरजाघर के प्रांगण में इन कार्यकर्ताओं ने सम्मेलन आयोजित किया। इससे पहले बीएनआर मैदान से गिरजाघर तक रैली भी निकाली गई, लेकिन पूरे कार्यक्रम में तृणमूल कांग्रेस का कोई आधिकारिक बैनर नहीं दिखा। हालांकि, आयोजन के लिए बांटे गए कूपनों पर तृणमूल कांग्रेस का ‘जोडाफूल’ चुनाव-चिह्न छपा था, जिस पर लिखा था—“साइलेंट तृणमूल वर्कर्स।”
सभा में कुछ ऐसे चेहरे भी नजर आए, जिन्हें पार्टी पहले ही निष्कासित कर चुकी है। इनमें पूर्व तृणमूल नेत्री बेबी कोले, साथ में पुराने कार्यकर्ता बिशु अधिकारी और सुशील यादव शामिल थे। उनका कहना था कि पार्टी नेतृत्व ने ज़मीनी कार्यकर्ताओं को भुला दिया है, जबकि वे आज भी पार्टी के प्रति वफ़ादार हैं।
जिला तृणमूल अध्यक्ष सुजॉय हाज़रा ने कहा,
“यह तृणमूल कांग्रेस का कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं है। ‘साइलेंट तृणमूल’ नाम की कोई इकाई हमारी पार्टी में नहीं है। सुना है कि रैली के लिए बिरयानी कूपन बांटे गए और उसी बहाने कुछ लोग इकट्ठा हो गए। बेबी कोले पहले ही पार्टी से निष्कासित हैं। हमारे चुनाव-चिह्न का उपयोग कूपन पर कैसे हुआ, इस पर प्रशासन से बात कर कार्रवाई की जाएगी।”
गौरतलब है कि कुछ समय पहले वाम दल के वरिष्ठ नेता अनिल दास पर खुलेआम हमला करने का आरोप बेबी कोले पर लगा था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें बाहर कर दिया था। उस समय शहर की तृणमूल इकाई अनिल दास के समर्थन में खुलकर खड़ी हुई थी।