- हम प्रमुख जीतनराम मांझी का बड़ा एलान – “जेडीयू के हक़ वाली सीटों पर हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं, दो सीटों पर लड़ेंगे चुनाव”
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने मंगलवार को बड़ा बयान देते हुए स्पष्ट कर दिया कि वे बोधगया और मखदूमपुर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। मांझी ने अप्रत्यक्ष रूप से चिराग पासवान और उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पर निशाना साधते हुए कहा— “निर्णय हो जाने के बाद जेडीयू कोटे की सीटों पर अन्य दलों द्वारा उम्मीदवार दिए जाना अनुचित है। मैं चिराग के हस्तक्षेप से सहमत नहीं हूँ। इसलिए हम भी दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।” मांझी ने यह भी साफ किया कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसलों के साथ हैं और एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलने का दावा किया।
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सांसद अजय मंडल ने दी इस्तीफे की धमकी – “राय नहीं ली गई, अपमान सहन नहीं”
इधर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी घर के अंदर की बगावत से परेशान दिख रही है। भागलपुर से जदयू सांसद अजय कुमार मंडल ने टिकट बंटवारे के मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व को कड़े शब्दों में चुनौती दी है। मंडल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में अपने लोकसभा सदस्य पद से इस्तीफा देने की अनुमति मांगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने उनके संसदीय क्षेत्र से विधानसभा टिकट बांटने में उनकी राय को दरकिनार किया। मंडल ने पत्र में लिखा— “मैं 20-25 वर्षों से संगठन की सेवा कर रहा हूँ। बावजूद इसके टिकट वितरण में मेरी कोई सलाह नहीं ली गई। बाहरी लोगों को तरजीह दी जा रही है और समर्पित कार्यकर्ताओं को अपमानित किया जा रहा है।” उनके इस कदम से जदयू चिंतन में पड़ गई है और राजनीतिक पंडित इसे आगामी संकट का संकेत बता रहे हैं।
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सीएम आवास पर धरने पर बैठे विधायक गोपाल मंडल, बोले – टिकट नहीं मिला तो होगा बड़ा आंदोलन
जदयू के अंदर उठ रहे विरोध को और हवा दी पार्टी के मोकामा से विधायक गोपाल मंडल ने। मंगलवार को वे पटना स्थित 1 अणे मार्ग पर मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। मंडल ने आरोप लगाया कि साजिश के तहत उनका टिकट काटने की तैयारी हो रही है। उन्होंने कहा— “मैं जनसेवा करता हूँ, अपराध नहीं। मुझे टिकट नहीं मिला तो मैं यहीं बैठा रहूँगा। सीएम से मिलकर ही जाऊँगा।” इधर सहरसा की सोनबरसा सीट पर भी गंभीर विवाद छिड़ा हुआ है। इस सीट को जदयू कोटे से निकालकर चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आरवी) को दिए जाने से पार्टी नेता और कार्यकर्ता भड़क उठे हैं। सोनबरसा के मौजूदा विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रत्नेश सदा पहले ही उम्मीदवार घोषित हो चुके थे, लेकिन अब सीट बदले जाने से जदयू का आंतरिक असंतोष खुलकर सामने आ गया है। बिहार में एनडीए भले ही एकजुटता का दावा कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत बताती है कि सीट बंटवारे की लड़ाई चुनावी अखाड़ा बनने वाली है।