नई दिल्ली: बागेश्वर धाम सरकार के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शनिवार को दिल्ली में आयोजित “सनातन हिंदू एकता पदयात्रा” के दूसरे दिन बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा समाज में सद्भाव और हिंदू एकता के लिए निकाली गई है।
शास्त्री ने दो टूक कहा — “हम रुकेंगे तब, जब भारत हिंदू राष्ट्र होगा।”
“यह यात्रा राजनीति नहीं, समाज को जोड़ने की मुहिम है”
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्पष्ट किया कि यह यात्रा किसी राजनीतिक दल के समर्थन या विरोध के लिए नहीं, बल्कि हिंदू समाज को जातिगत भेदभाव से ऊपर उठाकर एक करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “यह यात्रा सामाजिक समरसता का प्रतीक है, हम चाहते हैं कि हिंदू आपसी भेदभाव भूलकर एक परिवार की तरह रहें।”
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने भावुक लहजे में कहा, “ये सब बागेश्वर धाम के पागल हैं… हम कोई नेता नहीं, और ये जनता नहीं — बल्कि हमारा परिवार हैं।”
पदयात्रा में उमड़ा जनसैलाब
दिल्ली में निकली इस पदयात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। लोगों ने हाथों में भगवा ध्वज थामे “जय श्रीराम” और “हर हर महादेव” के नारे लगाए।
महिलाओं से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक, हर कोई उत्साह और आस्था से भरा नजर आया।
शास्त्री ने कहा कि यह यात्रा “बांके बिहारी के मिलन और सनातन धर्म के उत्थान” का संदेश लेकर निकली है। उनका कहना था कि इसका उद्देश्य हिंदू समाज में एकता और आत्मगौरव की भावना जगाना है।
“यह शुरुआत है, हिंदू राष्ट्र तक जारी रहेगा संकल्प”
अपने भाषण के अंत में शास्त्री ने कहा, “यह सिर्फ शुरुआत है। जब तक भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बनेगा, हम पदयात्राएं करते रहेंगे। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है — हिंदू एकता और सनातन संस्कृति की रक्षा।”
उन्होंने कहा कि जब तक समाज में जातिगत दीवारें और आपसी विभाजन हैं, हिंदुओं को एकजुट रहना ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि इस यात्रा को राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरण के रूप में देखें।