
देवघर: एम्स देवघर के पहले दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि “हेल्थ इज वेल्थ” सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि सच्चाई है। उन्होंने भावुक शब्दों में विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि डॉक्टर बनने का मतलब सिर्फ डिग्री पाना नहीं, बल्कि किसी के जीवन में उम्मीद की रौशनी बनना है।
राष्ट्रपति ने एम्स देवघर द्वारा पाँच आदिवासी गांवों को गोद लेने की सराहना की और कहा कि इससे एनीमिया और सर्वाइकल कैंसर जैसी समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों को राहत मिलेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि संस्थान को और गांवों को गोद लेकर अपने सेवाक्षेत्र का विस्तार करना चाहिए। साथ ही युवाओं से आग्रह किया कि वे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को भी उतना ही महत्व दें जितना उच्च चिकित्सा को।
समारोह में झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी युवाओं को प्रेरक संदेश दिया। मंच पर एम्स देवघर के कार्यकारी निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की, वहीं अध्यक्ष प्रो. एनके अरोड़ा ने समारोह की अध्यक्षता की।
इस मौके पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी, पूर्व विधायक नारायण दास, भारत सरकार की सचिव निवेदिता शुक्ला वर्मा, एम्स रायपुर के निदेशक ले. जनरल अशोक जिंदल, स्वामी सूर्यप्रकाश, स्वामी शंकरानंद, आचार्यदेव, डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
समारोह में 2019 बैच के 48 छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री प्रदान की गई। इनमें से तीन उत्कृष्ट छात्रों को क्रमशः स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक मिले, जबकि एक छात्र को उत्कृष्ट उपस्थिति के लिए विशेष पदक प्रदान किया गया। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं के साथ समूह चित्र भी खिंचवाया।
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