
बोकारो: बोकारो में विस्थापितों की हालत दिन-ब-दिन और खराब होती जा रही है. कई साल पहले उनके पूर्वजों ने अपनी ज़मीन बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के निर्माण के लिए दी थी, लेकिन बदले में उन्हें रोजगार, नियोजन और बेहतर जीवन का जो वादा किया गया था, वह आज तक पूरा नहीं हुआ है. विस्थापितों का आरोप है कि बीएसएल प्रबंधन ने हमेशा उन्हें झूठे वादों और आश्वासन के जरिए बरगलाया है.
बीएसएल प्रबंधन का विरोध
इसी निराशा और आक्रोश के चलते, सोमवार को विस्थापित नौजवान संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में बीएसएल के अधिकारी हरिमोहन झा की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाली गई. प्रदर्शनकारियों ने इस प्रदर्शन के माध्यम से बीएसएल प्रबंधन के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विस्थापितों को रोजगार नहीं दिया गया, तो भविष्य में और भी अधिकारियों की शव यात्रा निकाली जाएगी, और बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा.
न्याय की लड़ाई
विस्थापितों का कहना है कि बीएसएल प्रबंधन ने न केवल झूठे वादे किए, बल्कि गैर-विस्थापितों को रोजगार देने के नाम पर भ्रष्टाचार भी किया है. असली हकदारों को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर किया गया है. उनका यह आंदोलन सिर्फ रोजगार की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विस्थापितों के आत्मसम्मान और न्याय की लड़ाई भी है.
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब तक बीएसएल प्रबंधन उचित कदम नहीं उठाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा और यह आंदोलन और उग्र हो सकता है.
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