
त्रिपुरों का नाश होते ही देवताओं ने भोलेनाथ को कहा त्रिपुरारी- कथावाचक
मानगो वसुन्धरा एस्टेट में शिवकथा महोत्सव का विश्राम
जमशेदपुर: मानगो एनएच 33 स्थित वसुन्धरा एस्टेट में चल रहे सात दिवसीय श्री त्रिशूल शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का विश्राम बुधवार 01 जनवरी को हवन, पूजन और भंडारा के साथ हुआ। सात दिनों तक चले शिवकथा महोत्सव ज्ञान यज्ञ में रोजाना काफी संख्या में श्रद्धालु जुटे। सातों दिन मुख्य यजमान किरण-उमा शंकर शर्मा सहित समस्त शर्मा परिवार थे। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भंडारा (प्रसाद) ग्रहण किया। सातों दिन की कथा का मुख्य प्रसंग रहा कि महादेव को जल और बिल्वपत्र अर्पित करें, ताकि भगवान शंकर प्रसन्न हो और भक्तों के सभी कार्य सिद्ध हो। भगवान शिवजी की अनेक लीलाएं हैं। शिव महापुराण की कथा श्रवण करने से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
सातवें दिन बुधवार को व्यास पीठ से कथा वाचक स्वामी वृजनंदन शास्त्री महाराज ने अनेक भक्ति प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए त्रिपुर वघ, तारकासुर वध, त्रिपुरारी, त्रिशुल, त्रिपुंड एवं कार्तिकेय चरित्र कथा की महिमा का प्रसंग विस्तार से सुनाया। कहा कि भगवान शिवजी के एक बाण से तीनों त्रिपुरों का नाश होते ही सभी देवता भोलेनाथ की जय-जयकार करने लगे और उसी समय सभी देवी-देवताओं ने भोलेनाथ को त्रिपुर का अंत करने वाले त्रिपुरारी के नाम से पुकारा। मान्यता है तभी से भोलेनाथ को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। भगवान शिवजी ने जिस दिन त्रिपुरासुर का वध किया वह दिन था कार्तिक पूर्णिमा। इस पूर्णिमा को ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ भी कहते है। इस दिन घर में, घर के बाहर और मंदिरों में दीयों की आरास बनाकर उनकी पूजा की जाती है और आनंदोत्सव मनाया जाता है।
महाराज ने कहा कि भगवान शिव की पूजा से मनुष्य जीवन के भवसागर को पार कर सकता है व मोक्ष पा सकता हैकालों के काल हैं महाकाल शिवशंकर भोलेनाथ जिनके पावन चरित्र की श्री शिव महापुराण की कथा श्रवण करने से सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।
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