
देवघर: चैत्र नवरात्र की महासप्तमी के अवसर पर शुक्रवार को पूजा-पंडालों के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए. इसके बाद मां दुर्गा के दर्शन और पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी.महासप्तमी के दिन प्रातः माता विल्वभरणी का महास्नान कराया गया, जिसके पश्चात नव पत्रिका प्रवेश की परंपरा निभाई गई. इसके साथ ही मां भगवती की विधिवत पूजा-अर्चना शुरू हुई.
देवघर में ऐतिहासिक परंपरा से होती है पूजा
देवघर में चारों कल्पों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है. शारदीय और चैत्र नवरात्र में सबसे अधिक प्रतिमाएं यहीं बनती हैं.
ऐतिहासिक पूजा स्थलों में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
• त्रिकुट पहाड़ पर त्रिकूटांचल बासंती सेवक समाज द्वारा 1933 ई. से मां भगवती की पूजा हो रही है.
• सिमरगढ़ा बासंती मंडप में 1949 से मां भगवती की आराधना जारी है.
• शहर के अन्य प्रमुख पूजा स्थलों में शिवराम झा चौक बासंती मंडप, हाथी पहाड़, भैरव घाट, हरिलाजोड़ी, बांग्ला पर, बैद्यनाथ लेन, घड़ीदार घर, अभया दर्शन और हृदयपीठ धाम शामिल हैं.
तांत्रिक विधि से हो रही पूजा, महाष्टमी पर भक्तों की उमड़ेगी भीड़
शहर के अधिकांश पूजा स्थलों पर तांत्रिक विधि से मां की आराधना की जाती है, जिसमें बलि प्रदान की परंपरा भी निभाई जाती है.
शनिवार को महाष्टमी के अवसर पर पूजा-पंडालों और वेदियों में स्थापित मां अंबे के पूजन के लिए श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ उमड़ने की संभावना है.
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