
चांडिल : ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र में आए दिन जंगली हाथियों के आतंक से जनजीवन अस्तवस्त हो गया है। आम नागरिकों को कहना है कि हमें हाथियों से बचाए. शहरी क्षेत्र से गांव में कोई कुटुंब बंधु आने से हिचकिचाते है, नए रिश्ते जोड़ने से पहले अपनी बाते रख देते है, हम लोगों को हाथी से डर लगता है। शाम ढलते ही जंगली हाथियों के आतंक से घरों से निकलना मुश्किल हो गया हैं। बीती रात एक विशाल हाथी नीमडीह प्रखण्ड अंतर्गत एक घर में घुस गया । हाथी के दो विशाल दांत चमक रहे थे।
गरीब किसान के रखे अनाज को चट कर गए
दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और गज परियोजना में जंगल और हाथी की संरक्षण को देखते हुए करोड़ों रुपया सरकार द्वारा मुहैया कराया जाता फिर भी हाथी का झुंड भोजन की तलाश में ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के चारो प्रखंड के विभिन्न गांव में प्रवेश कर जाते है। हाथी का टारगेट किचेन, गल्ला की दुकान ओर घरों में रखे धान, चावल आदि सामग्री को घरों के दरवाजा और दीवार को क्षतिग्रस्त (तोड़कर) करके गरीब किसान का रखे अनाज को चट कर गए।
ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र बना जंगली हाथियों का जॉन
लाल महोन गोराई झारखंड आंदोलोंकारी समाज सेवी ने कहा कि वन व पर्यावरण विभाग द्वारा दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी को गज परियोजना के तहत इको सेंसटिव जोन बनाकर हाथियों को सुरक्षित रखना है। विगत कुछ साल से ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र में जंगली हाथियों औ धमक रहे है । इससे गंभीर समस्या उत्पन्न हो गया है । वन विभाग द्वारा दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी को गज परियोजना के तहत इको सेंसटिव जोन बनाकर हाथियों को सुरक्षित रखना है। विभाग को हाथियों के लिए भोजन एवं पानी का संपूर्ण व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए , लेकिन विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया गया। जिसके कारण जंगली हाथियों का झुंड ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के चारों प्रखंड अंतर्गत विभिन्न गांव – गांव में घूम रहा है। राज्य सरकार द्वारा हाथियों के लिए हर साल करोड़ों रूपये खर्च किया जा रहा है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो रहा है। स्थानीय सांसद, विधायक, जिला परिषद सदस्य एवं मुखिया से आग्रह है कि जंगली हाथियों के उत्पात से ईचागढ़ विधान सभा के जनता को मुक्ति दिलाने के लिए ठोस कदम उठायें अन्यथा यंहा के जनता जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।