CJI BR Gavai: अनुसूचित जाति से दूसरे CJI बने गवई, संभाली देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी

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नई दिल्ली: बुधवार को न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण किया. उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे.

न्यायमूर्ति गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए. बीते 30 अप्रैल को कानून मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी. परंपरानुसार, तत्कालीन CJI खन्ना ने वरिष्ठतम न्यायाधीश के रूप में उनके नाम की सिफारिश की थी.

न्यायिक करियर: संघर्ष, समर्पण और सफलता की कहानी
जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत की शुरुआत की. उन्होंने नागपुर और अमरावती नगर निगम, तथा अमरावती विश्वविद्यालय में स्थायी वकील के रूप में कार्य किया.
1992 से 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में सेवा दी.
17 जनवरी 2000 को सरकारी वकील नियुक्त हुए और 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बनाए गए.
12 नवंबर 2005 को वे स्थायी न्यायाधीश बने.
24 मई 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

महत्वपूर्ण फैसले जो न्यायमूर्ति गवई की पहचान बने

अनुच्छेद 370 (2023)
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के निर्णय को पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस गवई ने सर्वसम्मति से वैध ठहराया.

राजीव गांधी हत्याकांड (2022)
जस्टिस गवई की अध्यक्षता में दोषियों की रिहाई को मंजूरी मिली. कोर्ट ने माना कि राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं की.

वणियार आरक्षण मामला (2022)
तमिलनाडु सरकार द्वारा वणियार समुदाय को विशेष आरक्षण देने को असंवैधानिक ठहराया गया क्योंकि यह अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण था.

नोटबंदी मामला (2023)
2016 की नोटबंदी को जस्टिस गवई ने 4:1 बहुमत से वैध माना. उन्होंने कहा कि यह निर्णय आरबीआई और केंद्र सरकार के परामर्श से लिया गया था.

ईडी निदेशक का कार्यकाल (2023)
जुलाई 2023 में ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध घोषित किया और 31 जुलाई तक पद छोड़ने का निर्देश दिया.

बुलडोजर कार्रवाई (2024)
संपत्ति ध्वस्तीकरण पर कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी की संपत्ति गिराना असंवैधानिक है. दोष साबित होने से पहले कार्रवाई नहीं की जा सकती.

अन्य उल्लेखनीय निर्णय
राहुल गांधी को मोदी सरनेम केस में राहत

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत

दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता के कविता को जमानत

पारिवारिक पृष्ठभूमि और सामाजिक प्रतीक
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ. उनके पिता आरएस गवई बिहार और केरल के राज्यपाल रहे हैं और एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता भी थे.
जस्टिस बीआर गवई देश के दूसरे अनुसूचित जाति से आने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं. उनसे पहले यह स्थान जस्टिस केजी बालाकृष्णन को वर्ष 2010 में प्राप्त हुआ था.

 

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