Cough Syrup Death Case: कफ सिरप त्रासदी से 20 बच्चों की गई जान, कंपनी मालिक गिरफ्तार

छिंदवाड़ा:  मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीला कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले में SIT ने बड़ी कार्रवाई की है। तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्यूटिकल कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई 8 अक्टूबर की रात चेन्नई में हुई। छिंदवाड़ा एसपी अजय पांडे ने बताया कि SIT आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर मध्यप्रदेश लेकर आ रही है। गोविंदन की गिरफ्तारी पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित था।

अब तक 20 मासूमों की जान गई
खराब कफ सिरप पीने से अब तक 20 बच्चों की मौत हो चुकी है। मामला सबसे पहले छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में सामने आया, जहां दो हफ्तों के भीतर कई बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। बाद में राजस्थान के कुछ इलाकों से भी इसी सिरप से जुड़ी घटनाएं सामने आईं। छिंदवाड़ा प्रशासन के मुताबिक, “कोल्ड्रिफ” सिरप पीने के बाद बच्चों को उल्टी, पेशाब में जलन और तेज बुखार जैसे लक्षण दिखे। जांच में डॉक्टरों ने पाया कि उनकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया था। सभी मृतक बच्चे दो से पांच साल की उम्र के थे। कई को नागपुर और भोपाल के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां उनके शरीर में जहरीले रसायन डायथिलीन ग्लाइकॉल का असर पाया गया।

सिरप में मिला जहरीला केमिकल
SIT जांच में खुलासा हुआ है कि श्रीसन फार्मा ने सिरप बनाने में ग्लिसरॉल की जगह डायथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल किया। यह रसायन इंसानी शरीर के लिए बेहद खतरनाक होता है। इसी केमिकल के कारण 2022 में गाम्बिया और 2023 में उज्बेकिस्तान में भी बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनका संबंध भारतीय दवाओं से था। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने सिरप के कई बैच बिना जांच के मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में भेज दिए थे। श्रीसन फार्मा पहले भी घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों के आरोपों में फंस चुकी है।

अधिकारियों पर भी गिरी गाज
राज्य और केंद्र सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त समिति बनाई है। अब तक कंपनी मालिक की गिरफ्तारी के अलावा, दो दवा नियंत्रकों और एक उपनिदेशक को निलंबित किया गया है। स्टेट मेडिसिन कंट्रोलर का तबादला कर दिया गया है। छिंदवाड़ा के डॉक्टर प्रवीण सोनी को भी लापरवाही और गलत दवा लिखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि आपराधिक मामला है। यदि यह साबित होता है कि कंपनी ने जानबूझकर जहरीला केमिकल मिलाया, तो आरोपियों पर गैर-इरादतन हत्या (IPC 304) का मुकदमा चलेगा।

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