
रांची: झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने मंगलवार (18 मार्च) को 2026 में प्रस्तावित संसदीय और विधानसभा सीटों के परिसीमन पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि यदि निर्वाचन क्षेत्रों का आवंटन जनसंख्या के आधार पर किया गया, तो राज्य में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों में कमी हो सकती है. मंत्री ने विधानसभा में यह आरोप भी लगाया कि हर परिसीमन के बाद आदिवासी आबादी में गिरावट आई है.
बीजेपी ने भी जताई चिंता: राष्ट्रीय नागरिक पंजी की मांग
मंत्री चमरा लिंडा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी झारखंड में आदिवासी आबादी की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त की. बीजेपी ने सदन में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की मांग की, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कौन झारखंड का वास्तविक निवासी है. बीजेपी नेताओं ने कहा कि अगर यही स्थिति रही, तो एक दिन आदिवासी पूरी तरह से गायब हो सकते हैं.
2008 में परिसीमन से छह आदिवासी सीटों का हुआ था नुकसान
चमरा लिंडा ने विधानसभा में कहा, ‘‘अगर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रमुख शिबू सोरेन ने इसका कड़ा विरोध नहीं किया होता तो 2008 में परिसीमन अधिनियम 2002 के तहत छह आदिवासी सीट कम हो जातीं. अब, मैं 2026 में होने वाले परिसीमन को लेकर अधिक चिंतित हूं, मुझे संदेह है कि छह आदिवासी सीट फिर से कम हो सकती हैं.’’
आदिवासी आबादी में गिरावट पर सवाल
मंत्री ने कहा कि 1951 में राज्य में आदिवासी आबादी 39 प्रतिशत थी, लेकिन हर परिसीमन के बाद यह घटती गई. उन्होंने यह भी कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि आदिवासी आबादी लगातार क्यों घट रही है. अगर यह गिरावट जारी रही, तो एक दिन आदिवासी पूरी तरह से गायब हो सकते हैं. उन्होंने विपक्ष से आदिवासियों की रक्षा के लिए समर्थन की अपील की.
कांग्रेस और विपक्ष का समर्थन
मंत्री चमरा लिंडा की चिंता का समर्थन करते हुए कांग्रेस विधायक रामेश्वर उरांव ने कहा कि आगामी परिसीमन के खिलाफ कई राज्यों, खासकर दक्षिणी राज्यों, ने विरोध किया है. उन्होंने कहा, ‘‘आबादी के आधार पर आदिवासी सीटों को कम करना सही नहीं होगा.’’
विपक्ष का सरकार के साथ समर्थन
विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने आदिवासी सीटों के संरक्षण के मुद्दे पर सरकार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘‘यह गंभीर चिंता का विषय है कि राज्य में आदिवासी आबादी घट रही है और मुस्लिम आबादी बढ़ रही है. 1951 से 2011 तक संथाल परगना में आदिवासी आबादी में करीब 17 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि घुसपैठियों के कारण मुस्लिम आबादी बढ़ी है.’’
एनआरसी की मांग: बाबूलाल मरांडी का बयान
बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में एनआरसी लागू करने की वकालत की. उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन झारखंड का है और कौन नहीं.
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