
देवघर: देवघर के बंधा मोहल्ला निवासी किन्नर समाज की गधिपति (मालकिन) रोज मौसी ने प्रयागराज के महाकुंभ में त्रिवेणी संगम घाट पर अपना पिंडदान किया. इस अवसर पर उन्होंने सांसरिक जीवन को त्यागते हुए संन्यासिनी बनने का निर्णय लिया.
महामंडलेश्वर की उपाधि
17 जनवरी को रोज मौसी को महाकुंभ में अंतरराष्ट्रीय किन्नर अखाड़ा (जूना अखाड़ा) की ओर से महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की गई थी. इसके बाद उन्होंने अपने नाम का पिंडदान कर संन्यास लेने का संकल्प लिया और अब उन्हें राजेश्वरी नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा.
जीवन की नई दिशा
संन्यास धारण करने के बाद महाकुंभ पहुंची राजेश्वरी नंद गिरि ने कहा कि मानव का जीवन मानव कल्याण के लिए होता है. उन्होंने बताया कि प्रारंभ से ही वह लोगों की सेवा में परम सुख का आनंद लेती रहीं हैं. अब संन्यास धारण करने के बाद वह अपना पूरा जीवन लोक कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित करेंगी.
आभार यात्रा
महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने के बाद रोज मौसी ने देवघर लौटकर एक आभार यात्रा निकाली और बाबा बैद्यनाथ की पूजा-अर्चना की. उनका संन्यास लेना न केवल किन्नर समाज के लिए, बल्कि सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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