
- 35 साल बाद छऊ पर प्रवचन देने वाले शशधर आचार्य पर फूटा कलाकारों का गुस्सा
- भस्मासुर कहना कलाकारों का अपमान
सरायकेला: सरायकेला में छऊ कलाकारों की एक आपात बैठक आयोजित हुई, जिसमें शशधर आचार्य द्वारा कलाकारों को ‘भस्मासुर’ कहे जाने पर तीव्र विरोध जताया गया. बैठक में कलाकारों ने सर्वसम्मति से इस टिप्पणी को निंदनीय और अपमानजनक बताया.
कलाकारों ने कहा कि सरायकेला के कलाकारों ने पिछले पाँच वर्षों से पद्मश्री की अनदेखी के बावजूद शशधर आचार्य को प्रशासन द्वारा मंच पर सम्मान दिए जाने पर कोई विरोध नहीं किया. फिर भी, एक पद्मश्री से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह दर्जनों कलाकारों को अपमानित करें. यह वक्तव्य उनकी मानसिकता की दिवालियापन को दर्शाता है.
भगोड़े कलाकार का संरक्षण पर भाषण हास्यास्पद
कलाकारों ने आरोप लगाया कि शशधर आचार्य 35 साल पहले निजी स्वार्थ में राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र को छोड़कर चले गए थे. आज उसी केंद्र और कलाकारों के संरक्षण की बात करना उनका दोहरापन दर्शाता है. वे अब छऊ नृत्य के ठेकेदार की भूमिका में दिख रहे हैं. संगीत नाटक अकादमी और आईसीसीआर जैसी संस्थाओं में भी उन्होंने अनियमितताएं की हैं, और अब जब वहां उनके लिए दरवाज़े बंद हो गए हैं, तो राजकीय कला केंद्र पर उनकी ‘नापाक नजर’ है.
समय रहते नहीं बोले, अब विधवा विलाप क्यों?
कलाकारों ने कहा कि जब पिछले दो वर्षों से कला केंद्र बंद पड़ा था, तब शशधर आचार्य ने उसकी सुध नहीं ली. अब जब पारदर्शिता से चैत्र पर्व आयोजित हो रहा है, तो वे राजनीतिक भाषण देने लगे हैं. पिछले अवसर पर उन्हें प्रशासन ने मौका दिया था, लेकिन उन्होंने अपने परिवार की चार-चार टीमों को शामिल कर अनियमितता की कोशिश की. कलाकारों के बीच पक्षपातपूर्ण निर्णयों से असंतोष फैलाया.
छऊ की मौलिकता से छेड़छाड़ पर भी तीव्र आपत्ति
कलाकारों का आरोप है कि शशधर आचार्य ने छऊ नृत्य की मौलिक अंग-भंगिमा और सुर-ताल के साथ छेड़छाड़ की है. उन्होंने स्थापित रचनाओं का विकृत रूप प्रस्तुत किया है, जिससे कलाकारों को गहरी पीड़ा हुई है.
मकरध्वज दोरोगा जैसे गुरु को उपदेश देना निंदनीय
बैठक में इस बात पर भी गहरी आपत्ति जताई गई कि शशधर आचार्य अपने पिता तुल्य पद्मश्री मकरध्वज दोरोगा को ‘शिक्षा’ देने की बात कर रहे हैं. यह सरासर मानसिक असंतुलन का प्रतीक है.
कलाकारों ने शशधर आचार्य की राजनीति पर टिप्पणी को हास्यास्पद बताया, जब उनका ही भाई बार-बार दल बदलता रहा है. ऐसे में राजनीति की नैतिकता पर भाषण देना शोभा नहीं देता.
चैलेंज: एक रुपया गड़बड़ी साबित करें
कलाकारों ने चैत्र पर्व की राशि के हेरफेर के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि यदि एक रुपया भी गलत साबित हो जाए, तो हम जो कहेंगे, वह करने को तैयार हैं. आरोप लगाने से पहले तथ्यों की जांच आवश्यक है.
पारदर्शिता और सम्मान के साथ हुआ चैत्र पर्व
बैठक में कहा गया कि इस वर्ष पहली बार चैत्र पर्व पूरी पारदर्शिता के साथ मनाया गया. साधारण कलाकारों को पूरा सम्मान मिला और आयोजन उनकी सहमति के अनुरूप हुआ.
भोला मोहंती ने बताया कि प्रदर्शन के लिए पूर्व में विज्ञापन प्रकाशित हुआ था, जिसमें सरायकेला नगर के पांच दलों समेत केदार आर्ट सेंटर को भी प्रदर्शन का अवसर मिला. सभी सम्मानित कलाकारों को पत्र भेजा गया, केवल शशधर आचार्य ही नहीं पहुंचे और अब गलत आरोप लगा रहे हैं.
भोला मोहंती ने यह भी कहा कि राजकीय कलाकेंद्र में पाँच रिक्त पदों की नियुक्ति के लिए मैंने स्वयं विधायक दशरथ गागराई से बात की और विधानसभा में मुद्दा उठाया. शशधर आचार्य केवल झूठा श्रेय लेना चाहते हैं.
24 घंटे में माफ़ी नहीं मांगी तो होगा पुतला दहन
बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि शशधर आचार्य 24 घंटे के भीतर अपना विवादास्पद बयान वापस नहीं लेते, तो छऊ कलाकार कल शाम 5:00 बजे उनका पुतला दहन करेंगे. बैठक में बड़ी संख्या में कलाकार उपस्थित रहे.
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