
रांची: राजधानी रांची के प्रसिद्ध मानसिक चिकित्सालय रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंसेज (रिनपास) के 100 वर्ष पूरे होने पर गुरुवार को भव्य समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुख्य अतिथि थे। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सह रांची सांसद संजय सेठ, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय और कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
सीएम ने दिए भरोसे और नसीहत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मनोरोगों के इलाज में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बेहद जरूरी है। सरकार संस्थान की हर कमी को दूर करने के लिए तैयार है ताकि यहाँ इलाज के लिए आने वाले मरीज पूरी तरह स्वस्थ होकर लौट सकें।
उन्होंने चिंता जताई कि कई बार परिवारजन मरीज को रिनपास छोड़कर चले जाते हैं और फिर कभी लेने नहीं आते। “घर में भी कई बार मानसिक रोगियों को कैद कर रखा जाता है, जो समाज के लिए गलत है। हमें यह सोचने की ज़रूरत है कि ऐसी स्थिति में मरीज क्या महसूस करते होंगे,” सीएम ने कहा।
परंपरागत स्वागत और खास तोहफे
मुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों का स्वागत पारंपरिक गीत-संगीत और महिलाओं की प्रस्तुति से किया गया। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने अंगवस्त्र, पौधा, स्मृति चिन्ह और रिनपास मरीजों द्वारा बनाई गई भेंट देकर सीएम और अन्य अतिथियों का अभिनंदन किया।
समारोह की खास झलकियाँ
रिनपास पर आधारित पोस्टल स्टाम्प जारी किया गया।
संस्थान की स्मारिका और चार पुस्तकें विमोचित हुईं।
टेली मेंटल हेल्थ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डिजिटल अकादमी की शुरुआत हुई।
रिनपास के सेवानिवृत्त डॉक्टरों और फैकल्टी सदस्यों को सम्मानित किया गया।
रिनपास का सफर
रिनपास का इतिहास 1795 से जुड़ा है। शुरुआत बिहार के मुंगेर में “लूनैटिक असायलम” के रूप में हुई थी। 1821 में इसे पटना ले जाया गया। फिर 1925 में नामकुम होते हुए वर्तमान कांके स्थित परिसर में इसकी स्थापना हुई और नाम रखा गया इंडियन मेंटल हॉस्पिटल। आज यह रिनपास, देश का एक प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य संस्थान है, जिसने 100 वर्षों में सेवा, समर्पण और विश्वास की मिसाल कायम की है।
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