
चांडिल: ईचागढ़ प्रखंड के गुदड़ी पंचायत स्थित राजस्व ग्राम में रविवार को पारंपरिक माझी-पारगाना स्वशासन व्यवस्था के अंतर्गत एक भव्य ग्रामसभा का आयोजन हुआ. ग्रामसभा की अध्यक्षता माझी बाबा गणेश टुडू ने की, जिसमें महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्गों सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया.
संवैधानिक अधिकारों और परंपराओं की रक्षा का आह्वान
सभा में मुख्य अतिथि पारगाना बाबा शिलु सारना टुडू ने माझी-पारगाना स्वशासन, मानव अधिकार, पेशा अधिनियम और समता जजमेंट 1997 के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन और सांस्कृतिक पहचान पर लगातार खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में समुदाय को एकजुट होकर अपनी पहचान की रक्षा करनी होगी.
सरना धर्म कोड और ओल चिकी पढ़ाई की उठी मांग
सभा में सरकार से सरना धर्म कोड को मान्यता देने, सरकारी विद्यालयों में ओल चिकी लिपि में पढ़ाई शुरू करने, पांचवी अनुसूची के प्रावधानों को लागू करने तथा मारांग बुरु व लुगू बुरु जैसे आदिवासी धार्मिक स्थलों को अतिक्रमण से मुक्त कराने की मांग की गई. इन मांगों को एक ज्ञापन के रूप में सरकार को डाक द्वारा भेजने का निर्णय लिया गया.
विरासत की रक्षा के लिए ली सामूहिक शपथ
ग्रामसभा के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने मारांग बुरु को साक्षी मानकर यह शपथ ली कि वे जीवन भर अपनी परंपरा, संस्कृति और संवैधानिक हकों की रक्षा में समर्पित रहेंगे. माझी बाबा गणेश टुडू ने कहा कि सरकार और पूंजीपतियों की मिलीभगत से आदिवासी समाज के संसाधनों को छीना जा रहा है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पातकोम दिशोम के हर गांव में होगी ऐसी सभा
पारगाना बाबा शिलु सारना टुडू के निर्देश पर यह भी तय किया गया कि पातकोम दिशोम के सभी गांवों में ‘आतु चिरगाल’ के अंतर्गत इस प्रकार की जागरूकता सभाएं आयोजित की जाएंगी.
सभा में शामिल प्रमुख लोग
इस ऐतिहासिक ग्रामसभा में कोंदा सोरेन, बुद्धेश्वर किस्कू, दुबराज बेसरा, मोसो टुडू, रंजित मुर्मू, माद साकाम टुडू, दल गोबिंद टुडू, अरुण मुर्मू, सेफाली सेसरा, भादुरी माझी, बाहा बेसरा, सुरजमनी मुर्मू, जीरामुनी हांसदा, शुभद्रा मुर्मू, बालिका मुर्मू, दुलाली मुर्मू, बीरोती टुडू, मिरू टुडू और मंगली मुर्मू समेत सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे.
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