
देवघर : देवघर सेंट्रल स्कूल में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर वार्षिक विज्ञान प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें बच्चों में नवाचार और वैज्ञानिक सोच दिखी। साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रहे बदलाव, विभिन्न शोधों को बच्चों ने अपने स्तर पर दर्शाने का प्रयास किया। प्रदर्शनी में नवाचार के जरिए कैसे नई चीजों का आविष्कार कर सकते हैं, इसे भी बच्चों ने बखूबी बताया। स्कूल के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न विषयों पर अपनी परिकल्पना के आधार पर मॉडल तैयार किये, जिसे प्रदर्शनी में दिखाया गया। अतिथियों ने बच्चों की वैज्ञानिक सोच को काफी सराहा। प्रदर्शनी के जरिए पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया गया। आयोजन में थर्मोकोल का प्रयोग नहीं किया गया था।
समावेशी शिक्षा के लिए लर्निंग बाय डुइंग प्रोसेस को अपनाना होगा
स्कूल के प्राचार्य सुबोध झा ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को जब तक कक्षा की परिधि से बाहर नहीं निकालेंगे, तब तक उनका समग्र विकास नहीं हो सकता है। समावेशी शिक्षा के लिए लर्निंग बाय डुइंग प्रोसेस को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान मात्र एक विषय नहीं यह हमारे जीवन का आधार है। विज्ञान से ही हमारा यह जटिल जीवन संभव हो पा रहा है यह कहना कोई अतिश्योक्ति तो बिल्कुल नहीं है। अतः इसे अपने जीवन में उतारना ही हमारा एक मात्र ध्येय होना चाहिए।अतः केवल सैद्धांतिक रूप से पठन पाठन करने से काम नहीं चलेगा बल्कि प्रायोगिक शिक्षा के माध्यम से आत्मसात करना होगा तभी हम बदलती दुनिया के साथ सामंजस्य बैठा पाएंगे और अपनी उपादेयता बनाए रख सकेंगे।
अतिथियों ने विज्ञान के महत्व को बच्चों के साथ साझा किया
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय परिसर में पधारे अतिथियों के परिचय एवं स्वागत के पश्चात दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर बच्चों के उत्साह वर्धन हेतु कई गणमान्य विज्ञान प्रेमी, शिक्षाविदों ने अपनी गरिमापूर्ण उपस्थिति दर्ज करायी। सभी अतिथियों ने विज्ञान के महत्व को बच्चों के साथ साझा किया और उनके प्रयासों की भूरी भूरी प्रसंसा की। साथ ही उन्होंने बच्चों के कबाड़ से जुगाड़ को मुक्त कंठ से सराहा और कहा कि आज प्रदूषण एक विश्वव्यापी जानलेवा समस्या बन गई है। इस प्रदर्शनी में कई प्रारूप थे पर जीवंत प्रयोगों की संख्या अधिक थी। आशीष ने कबाड़ से जे सी बी का निर्माण कर उसके कार्यात्मक गुणों को बतलाया। आर्यन, सनी , हर्ष सौरभ आदि ने ह्यड्रोलिक ब्रिज की जीवंत रूप रेखा प्रदर्शित किया। आयुष , दिलशाद , आकाश , अंश, अंकुश आदि ने ध्वनि आधारित प्रयोगों को दिखाया। सोनू व सत्यम ने न्यूटन डिस्क के द्वारा सप्तवर्णी प्रकाश के किरणों को एकाकार कर दिखाया। प्रिंस व कृष्णा ने बैडोल वस्तुओं का आयतन माप कर दिखाया। बंधन , शाम्भवी एवं इक्षा ने पृष्ठ तनाव का सफल प्रदर्शन कर दिखाया।
शबनम व चाहत ने मानव हृदय के कार्य का जीवंत प्रदर्शन किया
रणवीर ने पानी के दवाब को प्रायोगिक विधि से प्रदर्शित किया। पलक, सृष्टि तथा संजना ने कार्बन शुद्धिकरण का संयंत्र बनाया। अमित एवं प्रियांशु ने उत्सर्जन तंत्र की रूप रेखा बताई। शुभम, आदित्य एवं यश ने विद्युत चुम्बक का जीवंत प्रदर्शन किया।रजत ने प्रारूप के माध्यम से चाँद के बदलते आकार को सकारण समझाया। शिवानी, धरा, साक्षी ने ताप का हवा के आयतन पर प्रभाव, हवा का स्थान घेरना आदि को दिखाया। परी व आराध्या ने मृदा की संरचना को कारण एवं प्रभाव को प्रारूप के माध्यम से दिखलाया। आदित्य ने ब्लड प्रेशर, आकाश व अंश ने जेनेटिक मैटेरियल, शबनम व चाहत ने मानव हृदय के कार्य का जीवंत प्रदर्शन किया। मंतशा, जोया एवं आलिया ने वायुमंडल के विभिन्न परतों को मॉडल के माध्यम से प्रदर्शित किया। अविनव ने थर्माकोल के अपघटन को प्रदर्शित किया। यह दिन भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है क्योंकि इसी दिन हमारे सर चंद्र शेखर वेंकटरमन ने रमन प्रभाव की खोज कर पूरे विश्व को अचंभित कर दिया था और भारतीयों का सिर गौरव से ऊंचा किया था।
विज्ञान प्रदर्शनी स्व. रमा शंकर पांडेय को समर्पित
विदित हो कि आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज के शिक्षा दर्शन पर आधारित यह विद्यालय सदा से प्रायोगिक शिक्षा का समर्थक रहा है। आजकि यह विज्ञान प्रदर्शनी संथाल परगना में विज्ञान के जनक रहे स्व रमा शंकर पांडेय को समर्पित किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर रामनंदन सिंह, डॉ भारतेन्दु, सोमेश दत्त मिश्रा, प्रेम केशरी, जे सी राज, प्रदीप सिंह देव्, काजल कांति शिकदार, प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र प्रसाद, अभिषेक, दीपक कुमार, देवेन्द्र चरण द्वारी, व अन्य ने बच्चों को उनके क्रियाशीलता के लिए बधाई दिया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षक, बड़ी संख्या में अविभावक व अन्य उपस्थिति थे। उपरोक्त बातों की जानकारी विद्यालय के मीडिया प्रभारी दिलीप पाण्डे ने दिया।