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जमशेदपुर : इस साल रंगों का उत्सव होली को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है । कहीं 14 तो कहीं 15 मार्च को होली मनाई जाएगी। पुरोहित सत्येंद्र पांडे शास्त्री ने बताया कि होलिका दहन 13 मार्च की रात 10:43 बजे के बाद होगी। होली 15 मार्च को मनेगी। फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च की मुबह 10:11 बजे से शुरू होगी। भद्रा भी उस समय से आरंभ हो रहा है। जो रात 10:43 बजे तक होगा। पूर्णिमा तिथि 14 मार्च को दोपहर 11:22 बजे तक रहेगी। फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च और स्नान बताया कि होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में छह नियम बताए गए हैं। पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल और तीसमा रात्रि का समय होना चाहिए। भद्रा में चावणी कर्म और पल्गुनी कर्म वर्जित है। 13 मार्च की रात पूर्णिमा तिथि विद्यमान सोहेगी। भद्रा भी रात 10:43 बजे खत्म हो जाएगा। इसीलिए 13 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन होगा। 14 मार्च को फाल्गुनी पूर्णिमा में स्नान-दान को पूर्णिमा, कुलदेवता को सिंदूरापेग किया जाएगा। साथ ही 15 मार्च को भस्म धारण और होली मनाई जाएगी।
होली उदय व्यापिनी तस्दा में मनाई जाती है
होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाया जाता है। इसलिए प्रेम, सौहा भाईचारा का प्रतीक होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में 15 मार्च को होगा। इस दिन दो शुभ नक्षत्रों का पुग्य संयोग रहेगा। आचार्य पंडित सत्येन्द्र शांडिल्य ने बताया कि होली उदय व्यापिनी तस्दा में मनाई जाती है। 14 मार्च को दोपहर होली के दिन 12:48 बजे तक प्रतिपदा है। वही उदय की प्रतिपदा 15 को पड़ेगी उदय तिथि के अनुसार ही कोई भी उत्सव मनाया जाता है इसके कारण 15 मार्च को होली मनाना उचित है।
दो शुभ नक्षत्रों के युग्म संयोग में होली :
रोग-शोक निवृत्ति और मनोकामना की पूर्ति के लिए होलिका की होगी पूजा
होलिका की पूजा में अक्षत, गंगाजल, रोली-चंदन, मौली, हाल्दी, दीपक, मिष्ठान आदि से पूजन किया जत है। इसके बाद गुड़, कर्पूर, तिल, धूप, गुगुल, जी, घी, आम की लकड़ी, गाय के गोबर से बने उपले या गोइता इसक्कर सात बार परिक्रमा करने से सुख-शांति, समृद्धि में वृद्धि नकारात्मकत का हाम, रोग-शोक से मुक्ति और मनोकामना की पूर्ति होते है। शास्त्रों के अनुसार होली में साल, पीले और गुलाबी रंग का ही प्रयोग करना चाहिए। होलिका दहन के भस्म को काफी पवित्र माना गया है। इस आग में गेहूं, चने की नई बालीको भुनने से शुभता का बादान मिलता है। होली के दिन संध्या बेला में इसका टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु की वृद्धि होती है। इसके साथ ही इस दिन ईश्वर से नई फसल की खुशहाली को कामना भी की जाती है।
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