Jamshedpur: JNAC बनाम औद्योगिक नगरी समिति – जमशेदपुर में व्यवस्था पर उठे सवाल

Spread the love

जमशेदपुर:  जमशेदपुर में नई बनाई गई औद्योगिक नगरी समिति (JINC) को लेकर सवालों का सिलसिला थम नहीं रहा. जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता और स्वर्णरेखा क्षेत्र ट्रस्ट समिति के ट्रस्टी आशुतोष राय ने इसे लेकर कई बिंदुओं पर सरकार से सीधा जवाब मांगा है.

उनका सबसे बड़ा सवाल यह है — जब पहले से जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (JNAC) मौजूद है, तो नई समिति बनाने की जरूरत क्या थी? और अगर नई समिति बनानी ही थी तो JNAC को भंग क्यों नहीं किया गया? अब दोनों समितियों की समानांतर मौजूदगी ने प्रशासनिक स्तर पर असमंजस पैदा कर दिया है.

आशुतोष राय ने कहा कि सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को बिना स्पष्ट गाइडलाइन, जल्दबाज़ी में लागू किया है. प्रशासक की नियुक्ति भी अचानक कर दी गई. इससे जनता में भ्रम है कि अब शहर का असली संचालन करेगा कौन?

उन्होंने समिति की संरचना पर भी सवाल उठाए. दो-दो उपाध्यक्ष — एक डीसी और एक टाटा स्टील के वीपी — इस पर राय ने कहा कि अगर सरकारी और कॉरपोरेट निर्णयकर्ता साथ बैठेंगे, तो टकराव तय है. और अगर कभी मंत्री या डीसी बैठक में मौजूद नहीं रहे, तो क्या कॉरपोरेट प्रतिनिधि ही निर्णय लेगा?

राय ने यह भी पूछा कि लीज क्षेत्र से बाहर की बस्तियों की सफाई, पानी, सड़क जैसी जरूरतें कौन पूरी करेगा? 86 नहीं, 144 बस्तियों में यह स्थिति है. अगर कंपनी सुविधाएं देती है तो उसका अंशदान कितना होगा, और सरकार का हिस्सा क्या रहेगा? सबसे अहम — क्या कंपनी द्वारा दिए गए फंड का ऑडिट होगा या नहीं?

उन्होंने कहा कि सरकार ने न तो एसओपी (मानक प्रक्रिया) तैयार की, न ही जेएनएसी के कर्मचारियों और संवेदकों की कोई स्थिति स्पष्ट की. लगभग 250 संवेदक हैं, लेकिन क्या उनका रजिस्ट्रेशन रद्द होगा? कोई स्पष्टता नहीं. गजट नोटिफिकेशन भी केवल एक पन्ने का निकला है, जिसमें कोई विस्तृत योजना नहीं दी गई.

राय ने यह भी पूछा कि MP-MLA फंड अब किसके पास जाएगा? जनप्रतिनिधि अपनी बात किसके पास रखेंगे, अनुशंसा किसे भेजेंगे? कोई स्पष्ट प्रणाली नहीं बनाई गई है.

उनका सुझाव है कि सरकार को स्थानीय जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ संवाद बैठकर चीजें तय करनी चाहिए और एक विस्तृत एसओपी बनाकर सार्वजनिक करना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि समिति में सरकार और जनता के प्रतिनिधियों की तुलना में कंपनी के प्रतिनिधि ज्यादा हैं. इससे यह आशंका और गहराती है कि कहीं प्रशासनिक नियंत्रण धीरे-धीरे पूरी तरह कॉरपोरेट हाथों में न चला जाए.

जमशेदपुर में जनता, कर्मचारी, और प्रशासन — तीनों के बीच पसरा यह असमंजस, यदि जल्द दूर नहीं हुआ तो आने वाले समय में यह शहर की विकास प्रक्रिया को सीधे प्रभावित कर सकता है.

 

 

इसे भी पढ़ें : Jamshedpur: बच्चों के स्वास्थ्य माप में लापरवाही पर उपायुक्त सख्त, 24 घंटे में सुधार का अल्टीमेटम


Spread the love

Related Posts

Jamshedpur : शहीद उधम सिंह का बलिदान देशप्रेम की पराकाष्ठा का प्रतीक : अमरप्रीत सिंह काले

Spread the love

Spread the loveशहीद उधम सिंह की पुण्यतिथि पर नमन परिवार ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि जमशेदपुर : राष्ट्र के वीर सपूत, अद्वितीय साहस और अटूट संकल्प के प्रतीक, महान क्रांतिकारी शहीद…


Spread the love

Jamshedpur : परसुडीह दुष्कर्म पीड़िता एवं परिवार की सुनिश्चित होगी सुरक्षा : उपायुक्त 

Spread the love

Spread the loveपीड़ित बच्ची एवं परिवार को मिल रही धमकियों को लेकर भाजपा का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिला जमशेदपुर :  परसुडीह थाना क्षेत्र में 25 जुलाई को पांच वर्षीय मासूम…


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *