
जमशेदपुर: जमशेदपुर के पॉश इलाके विजय हेरिटेज में रहने वाले एक बैंककर्मी और उसके परिवार के साथ मंगलवार को एग्रीको गोलचक्कर के पास दिनदहाड़े शर्मनाक घटना घटी, जिसने शहर की कानून-व्यवस्था और पुलिस तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पीड़ित पीटेंस तिवारी, जो कि एक बैंक में कार्यरत हैं, अपनी पत्नी सोमा पांडेय, दो वर्षीय बेटे और साली सुमन पांडेय के साथ शाम को सैर पर निकले थे। जैसे ही वे एग्रीको मैदान के समीप खाऊ गली पार कर रहे थे, तभी सड़क किनारे नशे में धुत युवकों से भरी एक भीड़ ने उनकी कार को छू जाने के आरोप में हमला बोल दिया।
पत्थरबाज़ी, गालियां, मारपीट और बदसलूकी
घटना स्थल पर मौजूद युवकों ने पहले पैसे की मांग की और जब पीड़ित परिवार ने थाने चलने की बात कही तो उन्होंने गाली-गलौज करते हुए कार पर हमला कर दिया। परिवार किसी तरह अपनी जान बचाते हुए सीताराम डेरा थाना की ओर भागा, लेकिन पीछा करते असामाजिक तत्वों ने कार पर पत्थर फेंके, शीशे तोड़े और बार-बार टक्कर मारी।
कार में बैठी महिलाओं के साथ भी बदसलूकी की कोशिश की गई। पीड़ित महिला ने रोते हुए बताया कि उनके साथ और उनकी बहन के साथ कपड़े फाड़ने तक का प्रयास किया गया। यह सब शहर के बीचोबीच हुआ, मगर किसी भी राहगीर ने मदद नहीं की।
सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि जब पीड़ित परिवार सीतारामडेरा थाना पहुंचा, तो पुलिस ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह मामला उनके क्षेत्राधिकार का नहीं है। इसके बाद परिवार ने गूगल से नंबर निकालकर सिदगोड़ा थाना में संपर्क किया। थाना प्रभारी ने उन्हें व्हाट्सएप पर शिकायत भेजने को कहा, जो भेजी भी गई।
लेकिन 12 घंटे तक पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस दौरान पूरा परिवार दहशत में रहा। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सदमे में हैं। महिला ने कहा कि घटना के बाद से घर में न रसोई जली, न कोई खाना खाया।
अब अधिकारी हरकत में, लेकिन भरोसा टूट चुका है
पीड़ित परिवार के सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों से शिकायत करने के बाद मामला डीएसपी स्तर तक पहुंचा है। अब थानेदार और वरीय अधिकारी जांच में जुटे हैं, लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि जिस समय उन्हें मदद की ज़रूरत थी, पुलिस ने उन्हें भटकने के लिए छोड़ दिया।
इस घटना ने एक बार फिर शहर की सुरक्षा व्यवस्था को कठघरे में ला खड़ा किया है। जब शहर के हृदयस्थल पर इस तरह की वारदात हो सकती है और पुलिस 12 घंटे तक निष्क्रिय रह सकती है, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है – यह सवाल उठना स्वाभाविक है।
पीड़ित परिवार ने प्रशासन से मांग की है कि हमलावरों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए और ऐसे असामाजिक तत्वों पर नकेल कसी जाए, जो खुलेआम नशा कर आम लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं। साथ ही, थाने की सीमा विवाद के नाम पर जिम्मेदारी टालने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की जाए।
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