
झाड़ग्राम : पश्चिम बंगाल के झाडग्राम शहर में बृहस्पतिवार की सुबह एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई, जिसमें जंगलमहल बटालियन के सब-इंस्पेक्टर जॉयदीप चटर्जी ने रघुनाथपुर स्थित अपने किराए के घर में पहले अपने माता-पिता की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से आत्महत्या का प्रयास किया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सुबह गोलियों की आवाज सुनकर पड़ोसी और मकान मालिक मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने जॉयदीप चटर्जी और उनके माता-पिता—मां शम्पा चटर्जी और पिता देवव्रत चटर्जी—को खून से लथपथ जमीन पर पड़ा पाया। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर गंभीर रूप से घायल जॉयदीप को झाडग्राम जिला सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया। उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम (पीजी) अस्पताल रेफर कर दिया गया। हालांकि, शम्पा चटर्जी और देवव्रत चटर्जी की मौके पर ही मृत्यु हो चुकी थी। पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि जॉयदीप लंबे समय से मानसिक तनाव से जूझ रहे थे। शुरुआती जांच में पता चला है कि जॉयदीप का अपने माता-पिता के साथ कुछ समय से तनावपूर्ण रिश्ता था। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए झाडग्राम जिला अस्पताल के भेज दिया गया है। झाडग्राम जिला पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, जिसमें सर्विस रिवॉल्वर के दुरुपयोग और सुसाइड नोट की फॉरेंसिक जांच शामिल है। जॉयदीप का मूल निवास आसनसोल के दुमुहानी गांव के बामुनपाडा इलाके में है। वे झाडग्राम जिले में जंगलमहल बटालियन के प्रभारी थे, जो एक विशेष पुलिस बल है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जाना जाता है। पुलिसकर्मियों में मानसिक तनाव और नौकरी के दबाव को इस घटना के संभावित कारणों में से एक माना जा रहा है। यह घटना पुलिस बलों में मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन की कमी को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक ड्यूटी, पारिवारिक दूरी और संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती जैसे कारक पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इस घटना ने पुलिस सुधारों और मानसिक स्वास्थ्य सहायता की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया है।
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