
आदित्यपुर: गर्मी का मौसम शुरू होते ही आदित्यपुर नगर निगम के कई क्षेत्रों में पानी की समस्या गहराती जा रही है. पानी का स्तर नीचे चले जाने के कारण अधिकांश घरों में बोरिंग का पानी आना बंद हो चुका है. वहीं, सप्लाई पानी की स्थिति भी सुधारने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. अधिकांश क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति तो होती ही नहीं, और जहां पानी आता है, वहां भी कोई तय शेड्यूल नहीं है.
केंद्र सरकार की शहरी अमृत योजना का खामियाजा
केंद्र सरकार की शहरी अमृत योजना, जो आदित्यपुर में पानी की समस्या को हल करने के लिए बनाई गई थी, राज्य सरकार और नगर निगम की उपेक्षा एवं भ्रष्टाचार का शिकार बन चुकी है. आदित्यपुर की जनता कई सालों से इस योजना का लाभ पाने की उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन यह योजना उनके लिए महज एक सपना बनकर रह गई है.
नगर निगम कर्मियों की मनमानी
पानी की किल्लत बढ़ने के साथ-साथ नगर निगम के कर्मचारी भी आपदा में अवसर तलाशने में लगे हुए हैं. जब आम जनता अपनी पानी की समस्या से निजात पाने के लिए अपने खर्च पर घरों में बोरिंग करवाना चाहती है, तो निगम के कर्मचारी उन्हें भारी रकम की मांग करते हैं. निजी घरों में बोरिंग कराने पर 1 हजार रुपये की सरकारी रसीद दी जाती है, जबकि सिंगल अपार्टमेंट में बोरिंग करने के लिए 25 हजार रुपये की सरकारी रसीद के साथ-साथ मोटी रकम ऊपरी चढ़ावे के रूप में भी ली जाती है.
भ्रष्टाचार और पानी की समस्या को लेकर भाजपा का कदम
पानी की समस्या को लेकर जल्द ही भाजपा का एक प्रतिनिधि मंडल झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक चंपई सोरेन से मिलकर इस गंभीर समस्या और नगर निगम की इन गतिविधियों से उन्हें अवगत कराएगा. इसके अलावा, प्रतिनिधि मंडल राज्य सरकार से यह मांग करेगा कि जो लोग निजी पैसे से बोरिंग करवा रहे हैं, उन्हें सब्सिडी दी जाए.
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