Jamshedpur: जिले में 70 हजार वोटरों के नाम कटने का खतरा! NCP ने जताई आपत्ति

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जमशेदपुर: एनसीपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता डॉ. पवन पांडेय ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर झारखंड में मतदाता सूची में किए जा रहे संशोधनों पर गहरी आपत्ति जताई है. उन्होंने आग्रह किया कि बिना उचित जांच-पड़ताल के हजारों मतदाताओं को सूची से हटाना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा.

मतदाता सूची संशोधन पर आपत्ति

विगत दिनों झारखंड के सभी जिला मुख्यालयों में उपायुक्त कार्यालय के माध्यम से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, जिसमें चुनाव से संबंधित जानकारी साझा की गई और सुधार के सुझाव मांगे गए. इसी क्रम में पूर्वी सिंहभूम जिले में भी बैठक आयोजित की गई थी.हालांकि, हाल ही में प्रकाशित समाचारों से यह ज्ञात हुआ कि जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा में 60 हजार और जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा में 10 हजार मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने की संभावना है. डॉ. पांडेय ने इसे पूरी तरह निराधार और अनुचित करार दिया.

किराए के मकानों में रहने वालों पर अन्याय?

डॉ. पांडेय ने तर्क दिया कि वर्तमान समय में शहरों में 30-40% लोग किराए के मकानों में रहते हैं, जो समय-समय पर अपना निवास स्थान बदलते रहते हैं. ऐसे में केवल पते में बदलाव के आधार पर किसी को मतदान के अधिकार से वंचित कर देना तर्कसंगत नहीं है.उन्होंने कहा कि जब उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, तब एक पार्टी के प्रतिनिधि ने जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा में 60 हजार फर्जी मतदाताओं की आशंका जताई थी. उस समय यह तर्क दिया गया था कि प्रत्येक बूथ पर एजेंट मौजूद रहते हैं, जो मतदाता की पहचान की पुष्टि करने के बाद ही मतदान की अनुमति देते हैं. ऐसे में फर्जी मतदान की संभावना बेहद कम है.

मतदाताओं के अधिकार की रक्षा आवश्यक

डॉ. पांडेय ने उदाहरण देते हुए बताया कि झारखंड में कई सरकारी अधिकारी व कर्मचारी कार्यस्थल के अनुसार अलग-अलग जिलों में निवास करते हैं, लेकिन मतदान के समय वे अपने पंजीकृत क्षेत्र में जाकर वोट डालते हैं. ऐसे में सिर्फ निवास स्थान बदलने की वजह से किसी का नाम मतदाता सूची से हटाना अन्यायपूर्ण होगा.उन्होंने कहा कि पूर्व में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक क्षेत्र के बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे. लेकिन अब अचानक इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है.

चुनाव आयोग से अविलंब हस्तक्षेप की मांग

डॉ. पांडेय ने चुनाव आयोग से अपील की कि इस फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए और जांच-पड़ताल के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी मतदाता का नाम दो स्थानों पर दर्ज है, तो एक जगह से हटाना उचित होगा, लेकिन केवल निवास स्थान बदलने के कारण मतदान अधिकार छीनना सरासर गलत है.उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके, ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे.

 

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