
नई दिल्ली: दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्तियों के नेता रविवार को कनाडा के अल्बर्टा स्थित कनानैस्किस रॉकीज में आयोजित 51वें G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। इस उच्चस्तरीय वैश्विक मंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग ले रहे हैं। वे साइप्रस से रवाना होकर आज कनाडा पहुंच गए हैं। 51वां G7 शिखर सम्मेलन , संगठन G7 की 57वीं वार्षिक बैठक , 16 से 17 जून 2025 तक कनाडा के अल्बर्टा के कनानैस्किस में आयोजित की जा रही है।2002 में 28वें G7 शिखर सम्मेलन के बाद से यह कनानैस्किस में आयोजित होने वाला दूसरा G7 शिखर सम्मेलन है।
मोदी ने साइप्रस को उपहारों से किया मंत्रमुग्ध
प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा रवाना होने से पहले साइप्रस में प्रथम महिला फिलिपा करसेरा को आंध्र प्रदेश निर्मित रजत क्लच पर्स भेंट किया। यह पर्स पारंपरिक धातु कला और आधुनिक शैली का अद्भुत संगम है। मंदिर और शाही स्थापत्य से प्रेरित विस्तृत पुष्प आकृतियों से सजे इस स्टाइलिश पर्स में भारतीय कारीगरी की झलक है।
इसी अवसर पर उन्होंने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस को कश्मीरी रेशम कालीन भी भेंट की। गहरे लाल रंग का यह कालीन हल्के पीले और लाल बॉर्डर से सुसज्जित है। इसमें बेलबूटों और ज्यामितीय डिजाइनों की बारीक कारीगरी है, जो प्रकाश के अनुसार रंग बदलती है। यह उपहार भारत की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रमाण है।
G7 सम्मेलन पर छाए वैश्विक तनाव के बादल
इस वर्ष का सम्मेलन वैश्विक चुनौतियों के साए में हो रहा है। इस्राइल-ईरान के बीच बढ़ता टकराव और अमेरिका द्वारा शुरू किए गए व्यापार युद्ध ने विश्व मंच पर अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति और उनका संतुलित दृष्टिकोण वैश्विक नेतृत्व में सकारात्मक योगदान दे सकता है।
क्या भारत बनेगा वैश्विक संवाद का नया पुल?
G7 सम्मेलन में भारत की भागीदारी केवल पर्यवेक्षक के रूप में नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार और प्रभावशाली वैश्विक शक्ति के रूप में देखी जा रही है। मोदी की कूटनीतिक सक्रियता और सांस्कृतिक उपहारों के माध्यम से सौहार्द की पहल भारत के वैश्विक दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करती है।
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