
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लेखक और शोध वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक पॉडकास्ट साक्षात्कार में युवाओं को जीवन की चुनौतियों और सफलता के लिए महत्वपूर्ण सलाह दी. उन्होंने युवाओं से कहा कि चुनौतियाँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन वे किसी व्यक्ति को परिभाषित नहीं करतीं. प्रत्येक कठिनाई को एक नए अवसर के रूप में देखना चाहिए.
चुनौतियों का सामना और अवसरों की पहचान
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जीवन में आने वाली कठिनाइयां हमारी परीक्षा लेने के लिए होती हैं, हमें पराजित करने के लिए नहीं. उन्होंने कहा, “कठिन परिस्थितियाँ हमें मजबूत बनाती हैं, हमें निखारती हैं और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं.” उनका मानना है कि किसी भी संकट का सही दृष्टिकोण से सामना करने पर वह हमें नया सीखने का अवसर देता है और हमारी सोच और व्यक्तित्व को बेहतर बनाता है.
धैर्य और आत्मविश्वास की महत्ता
फ्रिडमैन ने संघर्ष कर रहे युवाओं के लिए सवाल पूछा, जिसका उत्तर प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मविश्वास और धैर्य में सफलता की कुंजी बताकर दिया. उन्होंने कहा, “रात चाहे कितनी भी अंधेरी क्यों न हो, सुबह जरूर आएगी.” इसका अर्थ यह है कि कठिनाई स्थायी नहीं होती और हमें अपनी आत्मविश्वास को बनाए रखते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए.
शॉर्टकट से बचने की सलाह
प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को शॉर्टकट से बचने की सलाह दी. उन्होंने उदाहरण के तौर पर रेलवे स्टेशन की चेतावनी को याद किया, “शॉर्टकट आपको छोटा कर देगा.” उनका कहना था कि यदि कोई सफलता की राह में मेहनत से बचने के लिए शॉर्टकट अपनाता है, तो वह अपने विकास को रोक सकता है.
उन्होंने युवाओं से यह भी कहा, “सच्ची सफलता के लिए धैर्य, कठिन मेहनत और निरंतरता जरूरी है. हमें अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा और जुनून के साथ निभाना चाहिए. सफलता की यात्रा का आनंद लें और उसमें पूर्णता खोजें.”
सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि सीखने की प्रक्रिया जीवनभर चलनी चाहिए. उन्होंने कहा, “जब तक मैं जीवित हूं, मेरा एक उद्देश्य होना चाहिए. शायद मैं सीखते रहने और आगे बढ़ने के लिए ही जीवित हूं.” उन्होंने अपने बचपन के अनुभव का उदाहरण दिया, जब वे अपने पिता की चाय की दुकान पर बैठकर ग्राहकों के हाव-भाव, बोलने के तरीके और व्यवहार से बहुत कुछ सीखते थे.
कुछ बनने से अधिक, कुछ करने का सपना देखें
प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से अपील की कि वे केवल कुछ बनने का सपना न देखें, बल्कि कुछ करने का सपना देखें. उन्होंने समझाया, “अगर आपका सपना कुछ बनने का है और वह पूरा नहीं होता, तो निराशा हो सकती है. लेकिन अगर आपका सपना कुछ करने का है, तो आप लक्ष्य के करीब पहुंचने पर भी संतुष्ट महसूस करेंगे और प्रेरित रहेंगे.”
उन्होंने कहा कि जीवन में “मैं क्या दे सकता हूं?” इस सोच को अपनाना चाहिए, न कि “मुझे क्या मिला?” असली संतोष तब आता है जब हम समाज के लिए योगदान देते हैं.
अच्छे जीवन के लिए प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश हर युवा के लिए प्रेरणादायक है. यह न केवल सफलता की राह दिखाता है, बल्कि जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है.
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