
पोटका: पोटका प्रखंड के ग्वालकाटा पंचायत अंतर्गत मोकना बुरू गिरा गांवता साहारजुड़ी की ओर से बुधवार को पारंपरिक सेंदरा पर्व उल्लासपूर्वक मनाया गया. पर्व की शुरुआत सोमवार की रात मोकना बुरू की तलहटी में हुई, जहाँ समाज के लोगों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार शिकार पर्व का प्रतीकात्मक आयोजन किया. इस दौरान सिंगराई की रस्म भी पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ पूरी की गई.
आदिवासी परंपरा में विधायक की भागीदारी
समारोह में पोटका विधायक संजीव सरदार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. उन्होंने न केवल आयोजन की गरिमा बढ़ाई बल्कि पारंपरिक धोंगेड़ नृत्य में ग्रामीण कलाकारों के साथ सहभागिता भी निभाई. विधायक ने आधे घंटे तक लोक कलाकारों के साथ कदम मिलाए, जिससे ग्रामीणों में उत्साह का संचार हुआ.
“परंपरा और प्रकृति से जुड़ाव ही आदिवासी पहचान”
अपने संबोधन में सरदार ने कहा, “आदिवासी समाज की आत्मा उसकी परंपराओं और प्रकृति से जुड़े जीवन में समाई होती है. सेंदरा केवल पर्व नहीं, हमारी जीवन-दृष्टि का प्रतीक है.” उन्होंने बताया कि पहले यह पर्व शिकार आधारित था, लेकिन अब वन्यजीवों के संरक्षण की भावना को ध्यान में रखते हुए इसे प्रतीकात्मक स्वरूप में मनाया जा रहा है.
युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की अपील
विधायक ने युवाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “झारखंड सरकार आदिवासी समाज की तरक्की के लिए कई योजनाएं चला रही है. युवाओं को चाहिए कि वे पंचायत, प्रखंड और विधायक कार्यालय से संपर्क में रहें. झामुमो कार्यकर्ता हर संभव मदद को तत्पर हैं.”
संस्कृति संरक्षण का संदेश
विधायक ने आयोजन समिति को सफल आयोजन के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि ऐसे पारंपरिक आयोजन हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करते हैं. ग्रामीणों से उन्होंने अनुरोध किया कि वे इस विरासत का निर्वहन निष्ठापूर्वक करते रहें.
क्षेत्रीय नेतृत्व और जनता की भागीदारी
पर्व के अवसर पर पारंपरिक धार्मिक प्रतिनिधियों सहित क्षेत्र के अनेक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता मौजूद रहे. इनमें पाट माझी बाबा शिवचरण हांसदा, साहारजुड़ी माझी बाबा चंद्रमोहन हेंब्रोम, चंदनपुर माझी बाबा राम हेंब्रोम, सालगाडीह माझी बाबा सुरय मार्डी, बुटगोडा माझी बाबा चंद्राय मुर्मू प्रमुख थे.
इसके अलावा झामुमो केंद्रीय सदस्य हीरामनी मुर्मू, प्रखंड अध्यक्ष सुधीर सोरेन, सचिव भुवनेश्वर सरदार, हितेश भगत, भोजाय बास्के, राम सोरेन, सीताराम हांसदा, पिनाकी नायक, लखींद्र सरदार और बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भागीदारी ने आयोजन को जन-उत्सव का रूप दे दिया.
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