
पटना: 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) चल रहा है. इस प्रक्रिया पर अब सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ओर से सवाल उठने लगे हैं. जहां विपक्षी दलों ने पहले ही चुनाव आयोग की प्रक्रिया को लेकर नाराजगी जताई थी, वहीं अब जेडीयू के विधायक संजीव सिंह और सांसद गिरिधारी यादव ने भी असहमति जताई है. चिराग पासवान की पार्टी भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने लगी है.
बीजेपी बोली– फर्जीवाड़ा सामने आने से घबराया विपक्ष
बिहार बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने गुरुवार (24 जुलाई) को बयान दिया कि एसआईआर का विरोध विपक्ष की मजबूरी बन चुका है क्योंकि अब फर्जी वोटरों का खुलासा हो रहा है. उन्होंने जेडीयू के नेताओं को लेकर कहा “गिरिधारी यादव और संजीव सिंह शायद किसी भ्रम में हैं. जेडीयू के वरिष्ठ नेता उन्हें स्थिति स्पष्ट करेंगे. यह पार्टी का आंतरिक मामला है.”
प्रभाकर मिश्रा ने आगे कहा, “एनडीए में चट्टानी एकता है और यही एकता हमें चुनाव में प्रचंड बहुमत दिलाएगी. विपक्ष को अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है, इसलिए वे काले कपड़ों में ड्रामा कर रहे हैं.” उन्होंने आरोप लगाया कि आरजेडी और कांग्रेस जैसे दल फर्जी वोटर की बैसाखी के सहारे चुनाव जीतना चाहते हैं.
चिराग की पार्टी ने क्या कहा?
लोजपा (रामविलास) के प्रवक्ता शशि भूषण प्रसाद ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसकी प्रक्रिया में अभी दखल देना उचित नहीं. उन्होंने कहा “जेडीयू नेता भ्रमित हैं. उन्हें आयोग की अंतिम मतदाता सूची का इंतजार करना चाहिए. अगर तब कोई वास्तविक वोटर छूटता है तो हम भी आवाज़ उठाएंगे.” शशि भूषण ने यह भी जोड़ा कि बिना पूरी प्रक्रिया के पूरा हुए इस तरह की बयानबाजी ठीक नहीं है.
क्या बोले जेडीयू विधायक और सांसद?
विधायक संजीव सिंह ने कहा “अगर कोई प्रवासी मजदूर छह महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर बाहर है और उसका नाम सूची से कटता है, तो यह अत्यंत दुखद होगा.”
वहीं सांसद गिरिधारी यादव ने सवाल उठाया “अगर लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची ठीक थी तो अब अचानक वह गलत कैसे हो सकती है? क्या मैं गलत वोटर लिस्ट से सांसद बना हूं? अगर ऐसा है, तो पूरी चुनावी प्रणाली पर सवाल उठते हैं.”
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