
जमशेदपुर: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लोकसभा में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विरोध को आदिवासी विरोधी कदम बताया है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में किए गए संशोधनों से झारखंड सहित देश के अनुसूचित क्षेत्रों में वक्फ संपत्ति घोषित करने पर रोक लगेगी, जिससे आदिवासी समाज की संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण संभव होगा.
झामुमो का विरोध, तुष्टिकरण की राजनीति?
रघुवर दास ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के संपर्क में आने के बाद झामुमो पूरी तरह तुष्टिकरण की राजनीति में उलझ चुका है. उन्होंने कहा, झामुमो आदिवासी हितैषी पार्टी होने का दावा करता रहा है, लेकिन इस विधेयक का विरोध कर उसने आदिवासियों के खिलाफ काम किया. जब केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्ति अधिनियम में संशोधन कर आदिवासी भूमि की सुरक्षा का प्रावधान किया, तब झामुमो सांसदों ने इस बिल के खिलाफ वोट दिया. झारखंड के आदिवासियों को यह सोचना होगा कि झामुमो आखिर किसके पक्ष में खड़ा है?
आदिवासी क्षेत्र की जमीन को वक्फ घोषित करने की कोशिश?
रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत आदिवासी भूमि और संस्कृति संरक्षित की गई है. अनुसूचित क्षेत्रों में कब्रिस्तान, मजार, मकबरा, मस्जिद और दरगाहों का निर्माण आदिवासी संस्कृति के विपरीत है. झारखंड में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कर आदिवासी भूमि पर कब्जा करने और उसे वक्फ घोषित करने की कोशिश की जाती रही है. नया संशोधन इस पर रोक लगाने का प्रयास है, लेकिन झामुमो इसके खिलाफ खड़ा होकर आदिवासियों की जमीन को खतरे में डाल रहा है.
रांची में सरहुल पूजा यात्रा पर हमला, तुष्टिकरण की राजनीति का नतीजा?
रघुवर दास ने रांची के पिठोरिया थाना क्षेत्र में सरहुल पूजा शोभायात्रा के दौरान हुए हमले को हेमंत सोरेन सरकार की तुष्टिकरण नीति का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को अब जागने की जरूरत है. झामुमो और हेमंत सोरेन मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए आदिवासियों की पहचान, विरासत और संस्कृति को मिटाने पर तुले हैं.
आदिवासी समाज करे झामुमो और कांग्रेस का बहिष्कार?
रघुवर दास ने झारखंड की जनजातीय समाज से अपील की कि वे झामुमो और कांग्रेस के सांसदों का सामाजिक बहिष्कार करें. उन्होंने कहा, जो सांसद मुसलमानों के पक्ष में खड़े होकर वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रहे हैं, वे आदिवासियों के सच्चे हितैषी नहीं हो सकते. आदिवासियों को अब यह पहचानना होगा कि कौन उनके साथ है और कौन उनके खिलाफ. झारखंड में वक्फ संशोधन विधेयक पर जारी यह बहस आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है. क्या झामुमो अपने रुख पर पुनर्विचार करेगा, या आदिवासी समाज इससे नाराज होकर कोई ठोस कदम उठाएगा?
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