सिल्ली: झारखंड का इतिहास हमेशा से ही गौरवशाली रहा है, जहाँ स्वतंत्रता संग्राम में कई वीर-वीरांगनाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। ऐतिहासिक शोधों से अब ऐसे ही एक गुमनाम नायक, स्वतंत्रता सेनानी बुली महतो का प्रमाण मिला है। बुली महतो ने झारखंड और बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ सीधी लड़ाई लड़ी थी, जिसके लिए उन्हें काला पानी की सज़ा भी दी गई थी।
बुली महतो के पैतृक गाँव कोड़ाडीह के दुर्गा मंडप प्रांगण में सोमवार (24 नवंबर) को उनके वंशजों और ग्रामीणों के साथ एक सामूहिक बैठक हुई। यह बैठक 27 नवंबर को होने वाले बुली महतो की आदमकद प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए की गई थी। कार्यक्रम के आयोजक देवेंद्र नाथ महतो को वंशजों और ग्रामीणों ने एकजुट होकर सहयोग दिया। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए चावल, दाल और नकद राशि के रूप में आर्थिक मदद प्रदान की।
27 नवंबर को होगा मुख्य कार्यक्रम
बुली महतो की जयंती के अवसर पर, 27 नवंबर 2025 (गुरुवार) को बारुहातू पंचायत के भकुवाडीड मोड़ पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा।प्रतिमा अनावरण के साथ ही वहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के संबंध में प्रशासनिक सूचना भी दे दी गई है।
इस कार्यक्रम में डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो, पद्म सम्मानित मधु मंसूरी, सिल्ली विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो, स्थानीय मुखिया, ग्राम प्रधान और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे।
बुली महतो का ऐतिहासिक योगदान
आधुनिक ऐतिहासिक अनुसंधान से पता चला है कि बुली महतो ने झारखंड और बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ सीधे संघर्ष किया था।उपलब्ध दस्तावेज़ों के अनुसार, ब्रिटिश हुकूमत ने उनके इस योगदान के लिए उन्हें काला पानी की सज़ा दी थी। यह आयोजन उनके बलिदान और संघर्ष को सम्मान देने का एक प्रयास है।
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