सरायकेला: कार्तिक पूर्णिमा एवं देव दीपावली के अवसर पर बुधवार सुबह सरायकेला की खरकाई नदी के घाटों पर आस्था और उत्साह का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। जगन्नाथ मंदिर घाट, मंजाना घाट, श्मशान काली मंदिर घाट और कुद्रसाई घाट पर सुबह से ही हजारों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए जुटे। श्रद्धालुओं ने केले की नाव में फूल और दीप रखकर बहते हुए जल में प्रवाहित किया और भगवान जगन्नाथ के मंदिर में दीप जलाकर पूजा-अर्चना की।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ सेवा समिति द्वारा मंदिर प्रांगण में बोइता बंदना और डांगा भासा उत्सव का आयोजन किया गया। यह पारंपरिक ओड़िया नौसैनिक त्योहार प्राचीन ओड़िया नाविकों और व्यापारियों की समुद्री यात्राओं की स्मृति में मनाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने केले की छोटी नावें (बोइता) बनाकर दीपों से सजाईं और उन्हें जल में प्रवाहित किया — यह उन नाविकों को श्रद्धांजलि देने की परंपरा है जो समुद्र में खो गए थे।
![]()
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दीपदान और दान-पुण्य करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि देव दीपावली के इस शुभ अवसर पर देवता स्वयं पृथ्वी पर आकर नदियों और समुद्र तटों पर दीप प्रज्वलित करते हैं।
![]()
![]()
जगन्नाथ सेवा समिति की ओर से श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव, सचिव पार्थ सारथी, राजेश मिश्रा, सुदीप पटनायक, बद्री दरोगा, गोलोक बिहारी ज्योतिषी सहित समिति के सभी सदस्य उपस्थित रहे और श्रद्धालुओं की सेवा में सक्रिय दिखे।
इसे भी पढ़ें :
Jhargram: गोपीबल्लभपुर में रास यात्रा, निभाई गई नदी में ‘नाव तैराने’ की प्राचीन परंपरा