सरायकेला: समाहरणालय सभागार में बुधवार को उपायुक्त नितिश कुमार सिंह की अध्यक्षता में “बाल विवाह उन्मूलन एवं रोकथाम” विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिले के सभी वरिष्ठ अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, CDPO, BEEO, विद्यालय–महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य और महिला पर्यवेक्षिकाएँ कार्यक्रम में उपस्थित रहीं।
अपने संबोधन में उपायुक्त ने कहा कि बाल विवाह बालिकाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और मानसिक विकास पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है।
उन्होंने बताया—
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार
लड़कियों की विवाह आयु: 18 वर्ष
लड़कों की विवाह आयु: 21 वर्ष
कानून का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।
उपायुक्त ने कहा कि कम उम्र में विवाह से बालिकाओं की पढ़ाई रुक जाती है, स्वास्थ्य खतरे बढ़ जाते हैं और भविष्य की संभावनाएँ सीमित हो जाती हैं। समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर इस कुरीति को खत्म करने की जिम्मेदारी निभानी होगी।
उपायुक्त ने सभी BDO को निर्देश दिया कि वे अपने प्रखंडों में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में बाल विवाह रोकथाम पर विशेष कार्यशालाएँ कराएँ।
इन कार्यशालाओं में— किशोरियों, बालिकाओं और महिलाओं के लिए चल रही शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा और कौशल विकास योजनाओं की जानकारी दी जाएगी।
जो लाभार्थी अब तक योजनाओं से वंचित हैं, उन्हें चिह्नित कर आवेदन प्रक्रिया और पात्रता समझाई जाएगी। उन्होंने कहा कि योजनाओं से अधिक लोगों को जोड़ने से समाज में स्थायी और सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के सचिव तौसीफ़ मिराज ने बाल विवाह निषेध अधिनियम के कानूनी प्रावधान समझाए। उन्होंने कहा— बाल विवाह रोकना सिर्फ प्रशासनिक नहीं, सामाजिक जिम्मेदारी भी है। बाल विवाह करवाने, समर्थन करने या इसकी जानकारी छिपाने वालों पर भी कार्रवाई होती है।किसी भी संदिग्ध मामले की सूचना तुरंत प्रशासन को देना नागरिकों का कर्तव्य है।
कार्यशाला में नुआगाँव की बेबी महतो ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि दो वर्ष पहले उनकी कम उम्र में शादी तय कर दी गई थी, जबकि वे नौवीं कक्षा की छात्रा थीं और पढ़ाई जारी रखना चाहती थीं। उन्होंने यह जानकारी अपने शिक्षक को दी, जिसके बाद मामला BDO तक पहुँचा। प्रशासन ने तत्काल हस्तक्षेप कर विवाह को तय तारीख से एक दिन पहले ही रोक दिया। बेबी महतो को पढ़ाई जारी रखने और साहस दिखाने के लिए कार्यक्रम में प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यशाला के दौरान जिले में तैयार की गई बाल विवाह आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म का भी औपचारिक शुभारंभ किया गया। उपायुक्त ने बताया— यह डॉक्यूमेंट्री बाल विवाह के सामाजिक, स्वास्थ्य और कानूनी पहलुओं को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करती है। इसे जिले के जागरूकता वाहनों, विद्यालयों, ग्रामीण क्षेत्रों और समुदाय आधारित कार्यक्रमों में प्रदर्शित किया जाएगा।
अंत में उपायुक्त ने सभी अधिकारियों, शिक्षकों, आंगनबाड़ी सेविकाओं और उपस्थित प्रतिभागियों को बाल विवाह उन्मूलन की शपथ दिलाई।
उन्होंने कहा कि ऐसे उदाहरण और प्रयास समाज में सकारात्मक संदेश देते हैं और अभियान को मजबूत बनाते हैं।