
राजनगर: राजनगर प्रखंड के ग्राम केन्दमुण्डी डूंगरी में मां तारा देवी की तीन दिवसीय पूजा पूरे धार्मिक उल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न हुई. पूजा आयोजन को लेकर गांव में भक्तिमय वातावरण बना रहा और दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा में भाग लेने पहुंचे.
पूजा के पहले दिन, गाजे-बाजे और मंगल ध्वनियों के साथ सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालु कलश लेकर गांव के तालाब पहुंचे. वहां पूजारी सुनीता हेंब्रम द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा कर पवित्र जल भरवाया गया. इसके बाद सभी श्रद्धालु मां तारा देवी के नाम का जयघोष करते हुए झूमते-गाते हुए पूजा स्थल तक पहुंचे और वहां कलश स्थापना की गई. पूरे दिन महिलाएं और पुरुष भक्तों ने निर्जला उपवास रखकर मां तारा देवी की आराधना की. भक्तों ने मां के चरणों में माथा टेकते हुए अपने परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की.
स्थानीय मान्यता है कि मां तारा देवी की सच्चे मन से की गई आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यही कारण है कि बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, जमशेदपुर, रांची समेत विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों श्रद्धालु यहां मां की पूजा में सम्मिलित होने आते हैं. पूजारी सुनीता हेंब्रम ने बताया कि यह पूजा करीब 60 वर्षों से निरंतर होती आ रही है. यहां प्रतिदिन पूजा होती है और हर वर्ष 18 जून को विशेष कलश यात्रा निकाली जाती है. उन्होंने बताया कि मां तारा देवी को ‘श्मशान की देवी’ माना जाता है, जो अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाती हैं और मोक्ष प्रदान करती हैं.
पूजा आयोजन को सफल बनाने में गोमा हेंब्रम, दामू हेंब्रम (ग्राम प्रधान), गणेश हेंब्रम, आशा हेंब्रम, दुर्गा हांसदा, सोनू हेंब्रम, स्हागी टुडू समेत ग्रामवासियों का सराहनीय योगदान रहा. पूजा के अंत में सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया. मां तारा देवी की यह पूजा न केवल एक धार्मिक आयोजन थी, बल्कि यह गांव की एकता, सांस्कृतिक चेतना और लोक आस्था का भी अद्भुत उदाहरण बनी.
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