
पश्चिम सिंहभूम: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर प्रखंड में बैतरणी नदी के किनारे स्थित रामतीर्थ रामेश्वर मंदिर अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भगवान श्रीराम के पैरों के पदचिह्नों के लिए विख्यात है, जिनके दर्शन को धन्य होने का वरदान माना जाता है।
भगवान राम की वनवास यात्रा से जुड़ा पावन स्थल
क्षेत्रीय लोक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में जब भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ 14 वर्षों के वनवास पर थे, तब वे इस बैतरणी तट पर आए थे। यहाँ उन्होंने विश्राम किया और स्वयं अपने हाथों से शिवलिंग की स्थापना की। मंदिर की स्थापना की इस कथा को मुस्लिम समाजसेवी एवं राम तीर्थ मंदिर विकास समिति के अधिशासी सदस्य निसार अहमद ने विस्तार से बताया।
पदचिह्नों का रहस्य और संरक्षण का प्रयास
स्थानीय पुजारी के स्वप्न के आधार पर पता चला कि भगवान राम के पदचिह्न नदी की गहराई में हैं। ग्रामीणों ने टाटा स्टील नोवामुंडी की सहायता से इन्हें सुरक्षित स्थान पर प्रतिष्ठापित किया। इनमें से एक पदचिह्न वास्तविक माना जाता है, जबकि अन्य दो बाद में बनाए गए हैं।
चार प्रमुख मंदिर और विकास की दिशा
1910 में ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर परिसर में रामेश्वरम मंदिर, शिव मंदिर, जगन्नाथ मंदिर और बजरंगी मंदिर का निर्माण हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने इस मंदिर के विकास और सौंदर्यीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाल ही में झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता दी है।
स्थानीय आस्था और सांस्कृतिक उत्सव
मकर संक्रांति के अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें झारखंड के साथ-साथ ओडिशा के मयूरभंज और सुदंरगढ़ से भी श्रद्धालु नदी स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। स्थानीय देवगांव गांव की समिति मंदिर की देखभाल करती है और प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजा की जाती है, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
विशिष्ट वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व
रामतीर्थ मंदिर की वास्तुकला नागर और द्रविड़ शैली का अनूठा संगम है। झारखंड के पूर्व गवर्नर सिब्ते रजी ने मंदिर के पास उड़ीसा से जुड़ने वाली पुलिया निर्माण में योगदान दिया। इस मंदिर का शांतिपूर्ण वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
समाजसेवी निसार अहमद का संदेश
निसार अहमद बताते हैं कि राम तीर्थ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि क्षेत्रीय इतिहास, संस्कृति और आस्था का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि मंदिर के संरक्षण एवं विकास के लिए ग्रामीणों का सहयोग सराहनीय है और भविष्य में यह स्थल अधिकाधिक लोकप्रिय होगा।
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