
- पूर्व मुख्यमंत्री पंडित बीएन झा की जयंती मनाई गई
देवघर: पंडित विनोदानंद झा स्मारक समिति द्वारा बिहार-झारखंड के गौरव पूर्व मुख्यमंत्री पंडित विनोदानंद झा की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर तक्षशिला विद्यापीठ के डॉ. कृष्णानंद झा सभागार में आयोजित जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक सुरेश पासवान ने कहा कि विनोदा बाबू के कारण ही देवघर विधानसभा सीट आरक्षित हुई, जिसके कारण मैं देवघर का विधायक बन पाया. अविभाजित बिहार में उनके कार्य और योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. देवघर समेत पूरे संताल परगना के लिए उन्होंने शिक्षा, पेयजल के क्षेत्र में कई काम किये. डढ़वा जलापूर्ति योजना, पुनासी जलापूर्ति योजना विनोदा बाबू की देन है. जरूरत है, उनके कार्य को आगे बढ़ाने की.
दूरदर्शी थे विनोदा बाबू : मोती लाल
शिक्षाविद मोती लाल द्वारी ने कहा कि विनोदा बाबू में वीरता के सारे गुण थे. उनमें अथाह धैर्य था, किसी भी कार्य के प्रति गंभीर रहते थे. वह विवेकशील व्यक्ति थे. उनके उपर किसी का दवाब नहीं चलता था. विनोदा बाबू दूरदर्शी थे और इस कारण 1942 में उनका भाषण ऐतिहासिक था. उनके आह्वान पर जनता उमड़ पड़ी और जेल भर गए थे. एएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. नागेश्वर शर्मा ने विनोदानंदा झा स्मृति ग्रंथ की चर्चा की और कहा कि किताब के पहले पन्ने में पंडित जी का संकल्प देखने को मिलता है. कटिहार से बिहपुर लौटने के दौरान पंडित जी से जुड़ी स्मृतियों को डॉ. शर्मा ने साझा किया. रमेश बाजला ने कहा कि पंडित जी को जो सम्मान मिलना चाहिए, उन्हें नहीं मिला. देवघर में उनकी अबतक आदमकद प्रतिमा नहीं लग पाई है. प्रो.रामनंद सिंह ने कहा कि पंडित जी आदिवासी, किसान, मजदूरों के नेता था.
पंडित जी राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में अग्रणी रहे : दुर्लभ
पंडा धर्मरक्षिणी सभा के पूर्व महामंत्री दुर्लभ मिश्र ने कहा कि आज हम ऐसी विभूति की जयंती मनाने रहे हैं जो राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं. जब भी स्वतंत्रता संग्राम की बात आती है तो पंडित विनोदनंद झा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. वर्तमान दौर के जनप्रतिनिधि को पंडित जी स्वभाव, आचरण का अनुकरण करना चाहिए. वह दूरदृष्टा था. 1954 डढ़वा नदी जलापूर्ति योजना उनके प्रयास से शुरू हुई थी, जो अब तक चल रही है. विनोदा बाबू को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मानी जाएगी, तब संताल परगना की एक-एक इंच भूमि सिंचित हो और यहां से लोगों का पलायन रुके. इसके लिए राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से उपर उठकर काम करने की जरुरत है. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक राय ने कहा कि पहली बार कृष्णा बाबू की अनुपस्थिति में हमलोग पंडितजी की जयंती मना रहे हैं. आज कृष्णा बाबू की कमी खल रही है. विनोदा बाबू का जन्म सरदार पंडा के परिवार में हुआ था और उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन किया था और दलितों को मंदिर में प्रवेश कराया था. उनके नाम पर संचालित पंडित बीएन झा कॉलेज को हमलोगों को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए. समारोह की अध्यक्षता कर रही हिंदी विद्यापीठ की कुलपति डॉ. प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि विनोदा बाबू जब सीएम थे, उस वक्त शिक्षण संस्थानों के लिए प्रयासरत रहते थे. वह मुख्यधारा से अलग समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए चिंतित रहते थे. संताली भाषा के माध्यम से शिक्षा दी जाए, इसके लिए विनोदा बाबू ने संथाली भाषा को शिक्षा में जोड़ा. यह संताली भाषा-भाषियों के लिए बहुत बड़ी बात है. वहीं पंडित विनोदानंद झा के पौत्र सह तक्षशिला विद्यापीठ में एमडी अशोकानंद झा कहा कि जब वे सीएम थे तो पहला काम उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था को लागू कराने के लिए किया.
यदि इस व्यवस्था को शुद्धता से लागू किया जाए तो निचले स्तर पर काम संभव हो पाएगा. नेता आजकल उपर से आ रहे हैं. काम नीचे से उपर का होना चाहिए. यदि इस परिकल्पना के साथ काम किया जाए तो कई तरह की समस्याओं का निराकरण स्वत: हो जाएगा. कार्यक्रम में प्रो. सुंदर चरण मिश्र, महेश मणि द्वारी, किशोर ठाकुर, अनंत मिश्रा, अजय कुमार, राजेंद्र दास, प्रो. पशुपति राय, संजीव झा, रीता चौरसिया, डॉ. एससी नायक, प्रो. उदय प्रकाश, दिनेश मंडल, निवर्तमान वार्ड पार्षद गुलाब मिश्रा, रीता चौरसिया, विनोद दत्त द्वारी, पन्ना लाल मिश्रा, आशीष झा, अंग्रेज दास, कार्तिक नाथ ठाकुर, अरुणानंद झा समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे.
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