Chandil: दलमा वन्यजीव अभयारण्य से हाथियों का पलायन जारी, जलक्रीड़ा करते देख रोमांचित हुए पर्यटक

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चांडिल: कोल्हान प्रमंडल की एकमात्र वन्यजीव सेंचुरी दलमा अभयारण्य से पिछले कुछ वर्षों में हाथियों की संख्या में भारी कमी आई है. अब ये गजदंत पलायन करते हुए ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न प्रखंडों में डेरा डाल रहे हैं. बीते कुछ दिनों से चांडिल डैम जलाशय में एक झुंड ने अपना ठिकाना बना लिया है, जिसमें पांच नन्हें हाथी भी शामिल हैं.

डैम में हाथियों की जलक्रीड़ा, पर्यटकों ने लिया दुर्लभ दृश्य का आनंद

सप्ताहांत पर नौकायन के लिए चांडिल पहुंचे पर्यटकों के लिए यह नजारा अविस्मरणीय रहा. जब उन्होंने जंगली हाथियों को करीब से पानी में अठखेलियां करते देखा, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. एक पर्यटक ने कहा, “हमने आज तक सिर्फ पालतू हाथियों को देखा था, लेकिन इतने नजदीक से जंगली हाथियों को देखना जीवन का खास अनुभव रहा.”

हाथियों की मौजूदगी से ग्रामीणों में दहशत का माहौल

जहां एक ओर यह दृश्य पर्यटकों के लिए रोमांचक है, वहीं दूसरी ओर रसूलिया पंचायत, लुपुंगडीह, गुंडा पंचायत और तिल्ला पंचायत के ग्रामीण डरे-सहमे हैं. हाथियों का झुंड हर शाम डैम से निकलकर भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर बढ़ता है और फसलों को नुकसान पहुंचाता है.

रेलवे ट्रैक पार कर रहे हैं हाथी, बन सकती है बड़ी दुर्घटना

गुंडा बिहार रेलवे स्टेशन क्षेत्र के रसूलिया कटिंग और वाना कटिंग जैसे हिस्सों में हाथी रेलवे ट्रैक पार करते देखे गए हैं. पूर्व में ऐसी ही स्थिति में एक हाथी की मौत भी हो चुकी है. लेकिन अब तक इस क्षेत्र में कोई एलिफेंट कॉरिडोर नहीं बनाया गया, जबकि एनएच-33 पर यह सुविधा पहले ही विकसित की जा चुकी है.

वन विभाग की चिंता बढ़ी, बाघ की मौजूदगी से नया खतरा

वन विभाग के अनुसार, दलमा क्षेत्र में एक रॉयल बंगाल टाइगर की भी मौजूदगी है, जो उड़ीसा के शिमलिपाल टाइगर रिजर्व से भटक कर आया है. नीमडीह थाना क्षेत्र के टेंगाडीह, रैला और तनकोचा के जंगलों में उसे देखा गया है, लेकिन अब वह दलमा में लौटकर नहीं आया. डीएफओ सबा आलम ने पुष्टि की है कि यह बाघ पलामू रिजर्व से होते हुए पश्चिम बंगाल के बाद दलमा पहुंचा था.

पलायन और संघर्ष की बढ़ती घटनाएं, सवालों के घेरे में व्यवस्थाएं

वन्य जीवों की लगातार हो रही पलायन की घटनाएं वन एवं पर्यावरण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही हैं. केंद्र और राज्य सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये वन्यजीव सुरक्षा के नाम पर खर्च कर रही है, लेकिन फिर भी हाथी और बाघ जैसे महत्वपूर्ण प्राणी अपने मूल निवास क्षेत्र को छोड़ने को मजबूर हैं.

विशेषज्ञों की राय:

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, दलमा में इंसानी दखल और इको सेंसिटिव ज़ोन में तेजी से हो रहे निर्माण कार्यों के कारण हाथियों की आवाजाही और रहवास में बाधा उत्पन्न हो रही है. इसके चलते वे भोजन और पानी की तलाश में दूसरे इलाकों में पलायन कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : Jadugora : खुर्शी गांव में ग्रामीणों ने ईटा-भट्ठा बंद करने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन


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