
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरहुल पर्व के महत्व को देखते हुए राज्य में दो दिनों के राजकीय अवकाश की घोषणा की है. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट कर कहा, “पिछले कई वर्षों से सरहुल के अवसर पर दो दिन की छुट्टी की मांग उठ रही थी, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है.”
पिछले कई वर्षों से सरहुल के अवसर पर 2 दिन के राजकीय अवकाश की माँग उठ रही थी। आदिवासी समाज के इस महा पावन पर्व के महत्व को देखते हुए, मैंने इस वर्ष से 2 दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया है।
झारखंड की संस्कृति एवं परंपराओं की गौरवशाली धरोहर को हम सहेजते आयें हैं और सदैव सहेजेंगे।…
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) April 1, 2025
झारखंड की संस्कृति को सहेजने का संकल्प
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा, “आदिवासी समाज के इस पावन पर्व के महत्व को ध्यान में रखते हुए, मैंने इस वर्ष से इसे दो दिवसीय राजकीय अवकाश घोषित किया है. झारखंड की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की गौरवशाली धरोहर को सहेजने के प्रति हम प्रतिबद्ध हैं और आगे भी रहेंगे. जय सरना, जय झारखंड.”
इस निर्णय के तहत मंगलवार और बुधवार को पूरे झारखंड में सरकारी अवकाश रहेगा.
मुख्यमंत्री की शुभकामनाएं
हेमंत सोरेन ने सरहुल पर्व की बधाई देते हुए लिखा, “प्रकृति महापर्व सरहुल के शुभ अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार. यह पर्व सभी को स्वस्थ, सुखी और समृद्ध बनाए, यही मेरी कामना है.”
क्या है सरहुल पर्व?
सरहुल आदिवासी समाज का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, जो मुख्य रूप से झारखंड, ओडिशा और पूर्वी भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है. यह पर्व प्रकृति की आराधना पर आधारित है और खासतौर पर साल वृक्ष (शोरिया रोबस्टा) की पूजा की जाती है, जिसे आदिवासी संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है.
सरना मां की आराधना
मान्यता है कि साल वृक्ष में ‘सरना मां’ का वास होता है, जो गांव की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं. सरहुल का अर्थ ही साल वृक्ष की पूजा से जुड़ा है. यह पर्व सूर्य और पृथ्वी के प्रतीकात्मक मिलन का उत्सव है.सरहुल पर्व के दौरान सांस्कृतिक नृत्य, पारंपरिक अनुष्ठान और प्राकृतिक उपहारों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है. यह पर्व समाज को एकजुट करने और प्रकृति के महत्व को दर्शाने वाला अनोखा उत्सव है, जिसे हर वर्ष पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
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