
लखनऊ: वैश्विक टैरिफ संकट और सप्लाई चेन की चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा अभियान शुरू किया है। लक्ष्य है—विदेशी पूंजी को खींचना और यूपी को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना। इसके लिए सरकार चीन+1 रणनीति पर काम कर रही है और अब तक 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से बातचीत हो चुकी है।
किन देशों पर फोकस
चीन+1 लीड्स के तहत सरकार जिन देशों की कंपनियों को प्राथमिकता दे रही है, उनमें अमेरिका, जापान, चीन, फ्रांस, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और स्पेन शामिल हैं।
अमेरिका: 30 से अधिक कंपनियां
जर्मनी: करीब 30 कंपनियां
जापान: 20 कंपनियां
चीन: 14 कंपनियां
फ्रांस व स्विट्जरलैंड: 7-7 कंपनियां
डेनमार्क: 6 कंपनियां
स्पेन: 5 कंपनियां
इनमें से कई कंपनियां यूपी में निवेश की इच्छुक हैं। सरकार इसके लिए कंट्री-स्पेसिफिक डेस्क और विशेष टीमें बनाने पर विचार कर रही है, ताकि लीड्स को पक्के निवेश में बदला जा सके।
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव और एमओयू
भारत सरकार अब तक 574 पीएलआई प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे चुकी है। इनमें से 70 कंपनियां यूपी में पहले से काम कर रही हैं, जबकि 11 नई कंपनियां यहां प्रोजेक्ट शुरू करने वाली हैं।
20 कंपनियों ने यूपी सरकार के साथ सीधे एमओयू किए हैं।
473 कंपनियों के साथ लगातार फॉलो-अप जारी है।
अब तक 50 नए एमओयू साइन हो चुके हैं, 16 नई लीड्स मिली हैं और 282 कंपनियों के साथ चर्चा चल रही है।
विदेशी निवेशकों के लिए नई सुविधा
यूपी सरकार ने निवेशकों की सुविधा के लिए 814 कंपनियों के लिए अलग-अलग अकाउंट मैनेजर्स नियुक्त किए हैं। इनमें फॉर्च्यून 500 और इंडिया नेक्स्ट 500 कंपनियां भी शामिल हैं। यह कदम शिपिंग, टेलीकॉम, रिटेल, पेट्रोकेमिकल्स, इंश्योरेंस, पब्लिक सेक्टर बैंक और स्टेट पीएसयू कंपनियों तक फैला है।
क्या है चीन+1 रणनीति?
चीन+1 एक ग्लोबल बिजनेस स्ट्रैटेजी है, जिसमें मल्टीनेशनल कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन के लिए केवल चीन पर निर्भर नहीं रहतीं, बल्कि अन्य देशों में भी यूनिट लगाती हैं। यूपी को इससे बड़ा फायदा मिल सकता है, क्योंकि यहां:
सस्ती और कुशल वर्कफोर्स है
विशाल घरेलू बाजार है
जमीन और संसाधनों की उपलब्धता है.
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