
पश्चिम सिंहभूम: सारंडा के गंगदा पंचायत क्षेत्र के 14 गांवों में पिछले 10 दिनों से पानी की एक बूंद नहीं पहुंची है. हजारों ग्रामीण इस भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. दोदारी जलापूर्ति योजना के तहत जलमीनारों और जल शोधन केंद्र (डब्लूटीपी) को बिजली आपूर्ति बंद हो गई है. कारण – बिजली विभाग को बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया. पेयजल योजना और बिजली विभाग के बीच आपसी सामंजस्य की कमी का खामियाजा अब आम लोग भुगत रहे हैं. सरकार ने जिस योजना के अंतर्गत प्रत्येक घर में नल कनेक्शन देने की बात कही थी, उसकी हकीकत यह है कि पांच वर्षों बाद भी अधिकांश घरों तक न नल पहुंचे, न पानी. कुछ गांवों में पाइपलाइन तक नहीं बिछाई गई है, और जहां बिछी, वहां पानी नहीं आता.
पानी के नाम पर मिली ठगी: काशिया-पेचा में नहीं निकली एक बूंद
काशिया-पेचा गांव स्थित जलमीनार से आज तक एक बूंद पानी नहीं निकली है. इस कारण योजना से जुड़े कई गांव आज भी सूखे के हालात में हैं. ग्रामीणों ने इस समस्या पर मुखिया सह सारंडा विकास समिति के अध्यक्ष राजू सांडिल की अध्यक्षता में बैठक बुलाई.
चेतावनी: नहीं मिलेगा समाधान तो जाम होगी सड़क
बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि 29 मई तक स्थायी समाधान नहीं हुआ, तो 30 मई से सलाई चौक के पास मुख्य सड़क को अनिश्चितकाल के लिए जाम कर दिया जाएगा. ग्रामीणों ने एकजुट स्वर में कहा कि अब आर-पार की लड़ाई होगी.
“कंकड़ और पत्थर वाला पानी दिया सरकार ने”: मुखिया राजू सांडिल
मुखिया राजू सांडिल ने तीखे शब्दों में सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा –
“सरकार ने पानी रूपी खाना दिया है, लेकिन उसमें कंकड़ और पत्थर मिला कर. न निगलते बन रहा है, न उगलते. लौह अयस्क से सरकार को करोड़ों की आमदनी होती है, डीएमएफटी फंड आता है, लेकिन क्षेत्र की जनता शुद्ध पानी के लिए तरस रही है. यह सरकार और राज्य दोनों के लिए शर्मनाक स्थिति है.”
खदानों से खनिज निकासी जारी, पर विकास ठप
राजू सांडिल ने आगे कहा कि गंगदा पंचायत के अधिकांश गांव सेल की गुवा व चिड़िया खदान के सीएसआर क्षेत्र में आते हैं. इसके बावजूद इन खदानों द्वारा सोलर जलमीनार या डीप बोरवेल जैसी बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज किया गया है. इससे साफ है कि खनिज की लूट तो हो रही है, पर क्षेत्र का विकास किसी की प्राथमिकता नहीं है.
जनआंदोलन की तैयारी में ग्रामीण
बैठक में प्रदीप सिद्धू, कमलेश्वर दास, रामाय पूर्ति, बागी चाम्पिया, डंका चैंपियन, सुखलाल दास, मनबोध चाम्पिया, मनसा पूर्ति, संजय दास, जेना चाम्पिया, बागान गोप समेत दर्जनों गांवों के प्रतिनिधि मौजूद थे. सभी ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि इस बार भी समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो आर-पार की लड़ाई अनिवार्य है.
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