
गुवा: केंद्रीय विद्यालय मेघाहातुबुरु ने छात्रों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए एक अभिनव कदम उठाया है. विद्यालय परिसर में ‘शुगर बोर्ड’ लगाया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को चीनी के अत्यधिक सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों से जागरूक करना है और उन्हें स्वस्थ विकल्पों की ओर प्रेरित करना है.
यह प्रयास केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई की संयुक्त स्वास्थ्य जागरूकता योजना का हिस्सा है, जो स्कूल स्तर पर बच्चों में संतुलित जीवनशैली को बढ़ावा देने की दिशा में किया गया है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी — मीठा हो सकता है नुकसानदायक
विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी की अधिकता बच्चों में मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़, दांतों की क्षति और एकाग्रता में कमी जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म देती है.
‘शुगर बोर्ड’ में दर्शाया गया है कि—
4 से 10 वर्ष के बच्चों को कुल कैलोरी का 5% से कम चीनी लेनी चाहिए
11 से 18 वर्ष के किशोरों के लिए भी यही सीमा लागू है
यह भी बताया गया है कि एक सामान्य सॉफ्ट ड्रिंक (330 मि.ली.) या एक चॉकलेट बार (~25 ग्राम चीनी) ही इस सीमा को पार कर सकते हैं.
चित्रों और सरल भाषा में समझाया गया संदेश
बोर्ड पर रंगीन चित्रों और आकर्षक इन्फोग्राफिक्स के ज़रिए यह दिखाया गया है कि लोकप्रिय खाद्य पदार्थों जैसे बिस्किट, मिठाइयों और कोल्ड ड्रिंक्स में कितनी चीनी होती है. इससे बच्चों को यह समझना आसान हो जाता है कि वे अनजाने में कितनी अधिक मात्रा में चीनी का सेवन कर रहे हैं.
बोर्ड में यह भी स्पष्ट किया गया है कि चीनी की अधिकता पढ़ाई में प्रदर्शन को भी प्रभावित कर सकती है.
बच्चों को मिल रहे हैं सेहतमंद विकल्प
विद्यालय द्वारा बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में मार्गदर्शन किया जा रहा है. उन्हें सुझाए जा रहे हैं ये विकल्प:
ताजे फल
बिना शक्कर का दही
साबुत अनाज
पानी
हर्बल टी
इन विकल्पों को भी चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है ताकि छोटे बच्चे आसानी से उन्हें पहचान सकें और अपनाने की प्रेरणा लें. विद्यालय के प्राचार्य डॉ. आशीष कुमार ने बताया, “हम चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थी सिर्फ अकादमिक रूप से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के स्तर पर भी जागरूक बनें. ‘शुगर बोर्ड’ इसी सोच का परिणाम है.”
विद्यालय प्रबंधन ने बताया कि यह अभियान केवल कक्षा तक सीमित नहीं रहेगा. अभिभावकों को भी सेमिनार और अभिभावक-शिक्षक बैठक के ज़रिए इस पहल से जोड़ा जा रहा है ताकि घर पर भी बच्चों को सेहतमंद विकल्पों की ओर प्रोत्साहित किया जा सके.
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