
पोटका: पोटका प्रखंड के शंकरदा गांव में बीते चालीस वर्षों से मां शीतला देवी की पूजा बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है. यह पूजा संपूर्ण गांव के सहयोग से की जाती है और यह धार्मिक पर्व गांव में परम भक्ति और उत्साह का प्रतीक बन चुका है. खास बात यह है कि इस आयोजन में सभी लोग मिलकर भाग लेते हैं, और इसका आयोजन पूरी पवित्रता के साथ किया जाता है.
मां शीतला की पूजा का पारंपरिक महत्व
मां शीतला की पूजा का पारंपरिक महत्व इस बात से जुड़ा हुआ है कि यह पूजा चेचक, ज्वर और अन्य शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए की जाती है. पूजा के दिन के बाद अगले शाम सप्तमी को विशेष अनुष्ठान होता है. इस दिन गांव में यह घोषणा की जाती है कि जब तक मां की बारी पूर्ण कलश विधि से नदी से लाकर पूजा स्थल पर नहीं प्रतिष्ठित हो जाती, तब तक चूल्हा नहीं जलाया जाएगा और पानी लाने पर भी रोक होती है. इस परंपरा का पालन हर वर्ष बड़े श्रद्धा भाव से किया जाता है.
मां की मंगल घट की प्रतिष्ठा
इस वर्ष भी वही परंपरा निभाई गई. गांव के सामने बह रही नदी से पंडित जी के मार्गदर्शन में उपवासी व्रति महिलाएं मां के जयकारे के साथ शीतल बारी को भक्ति भाव से लाईं. इस अवसर पर गांव शंकरदा, काशीडीह और महुलबागन की महिलाएं भारी संख्या में एकत्रित हुईं और संपूर्ण विधि-विधान से पूजा संपन्न की गई. पंडित जी के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां की पूजा पूरी श्रद्धा से की गई.
उद्यम और सहयोग से संपन्न पूजा
पूजा के इस पावन अवसर पर पूर्व जिला पार्षद श्रीमती प्रतिमा रानी मंडल ने भी व्रति महिलाओं के साथ मिलकर पूजा की और क्षेत्र एवं परिवार की मंगलकामनाएं कीं. इस आयोजन में सुबीर रजक, मनोरंजन गोप, दीपेश गोप, उदय गोप, प्रबीर रजक, अबनी गोप, पंकज मंडल, देवा गोप, अभिषेक गोप, सनू गोप आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
नवमी पूजा और घट विसर्जन
आज यथा विधि मां की नवमी पूजा के बाद घट विसर्जन भी धूमधाम से संपन्न हुआ, और इस पूरे आयोजन के बाद व्रति महिलाएं आशीर्वाद प्राप्त कर अपने-अपने घरों की ओर लौट गईं.
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