
मुंबई: भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. वे 87 वर्ष के थे. अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए प्रसिद्ध मनोज कुमार को ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता था. उन्होंने कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है.
अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार की जानकारी
दोपहर बाद उनके पार्थिव शरीर को विशाल टॉवर, जुहू में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. कल सुबह पवन हंस श्मशान घाट, जुहू में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सुबह 3:30 बजे अंतिम सांस ली. उनकी मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताया गया है. इसके अलावा, वे पिछले कुछ महीनों से डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस से भी जूझ रहे थे. गंभीर स्थिति के कारण उन्हें 21 फरवरी, 2025 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
सिनेमा जगत में अविस्मरणीय योगदान
मनोज कुमार का भारतीय सिनेमा में योगदान अविस्मरणीय रहेगा. उन्हें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सात फिल्मफेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. 1992 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म श्री’ से नवाजा था. 2015 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया.
फिल्मी दुनिया में नाम परिवर्तन
मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था. हिंदी सिनेमा में कई कलाकारों ने फिल्मों में आने के बाद अपना नाम बदला है और मनोज कुमार भी उन्हीं में से एक थे. उनका जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था. भारत विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया.
ऐसे बना हरिकिशन से ‘मनोज कुमार’
बचपन से ही मनोज कुमार को अभिनय का शौक था. वे अशोक कुमार, दिलीप कुमार और कामिनी कौशल के बड़े प्रशंसक थे. फिल्मों से प्रेरित होकर उन्होंने अपना नाम हरिकिशन से बदलकर मनोज कुमार रख लिया. धीरे-धीरे यह नाम उनकी पहचान बन गया और सिनेमा जगत में उन्होंने इसी नाम से अपार ख्याति अर्जित की.
इमरजेंसी के दौरान झेली मुश्किलें
इमरजेंसी का दौर मनोज कुमार के लिए कठिन रहा. भले ही उनके संबंध इंदिरा गांधी से अच्छे थे, लेकिन उन्होंने इमरजेंसी का विरोध कर सरकार को नाराज कर दिया था. इसके परिणामस्वरूप उनकी सुपरहिट फिल्म ‘शोर’ को दूरदर्शन पर प्रसारित कर दिया गया, जिससे उसकी दोबारा रिलीज पर असर पड़ा. वहीं, उनकी फिल्म ‘दस नंबरी’ को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया.
डॉक्युमेंट्री निर्देशन से इनकार
इमरजेंसी के दौरान मनोज कुमार को एक डॉक्युमेंट्री डायरेक्ट करने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसकी कहानी प्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम ने लिखी थी. उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने अमृता प्रीतम से सीधे फोन पर बात कर पूछा कि क्या उन्होंने बतौर लेखिका समझौता कर लिया है. इस पर अमृता प्रीतम शर्मिंदा हुईं और उन्होंने स्क्रिप्ट फाड़ने का निर्णय लिया.
भारतीय सिनेमा का अमिट सितारा
मनोज कुमार की देशभक्ति से परिपूर्ण फिल्मों ने उन्हें सिनेमा जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई. उनकी कालजयी फिल्में दर्शकों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी. उनके निधन से भारतीय फिल्म जगत में एक युग का अंत हो गया है.
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