
मुआवजा पर सहमति नहीं बनने के कारण नहीं आ रहा था शव
बोकारो : जिले के चतरो चट्टी थाना क्षेत्र के प्रवासी मजदूर जगदीश महतो के शव को 16 दिन बाद अपने वतन की मिट्टी नसीब हुई. जगदीश महतो की मौत मलेशिया की एक कंपनी में काम करने के दौरान हो गई थी. तब से शव वहां पड़ा हुआ था. कंपनी की ओर से मुआवजा को लेकर सहमति नहीं नहीं बन पाने के कारण परिजन एवं गांव वालों ने शव लेने से इंकार कर दिया था. इस दौरान वार्ता जारी थी. 24 लाख 50 हजार रुपये पर सहमति बनी. कंपनी के प्रतिनिधि की ओर से दो दिन पहले उपरोक्त राशि का चेक सौपा गया. उसके बाद परिजनों शव स्वीकार करने पर समहति व्यक्त की. इससे पहले जगदीश महतो का शव बृहस्पतिवार को कोलकाता होते हुए चतरो स्थित घर पहुंचा. शव पहुंचने के बाद सभी की आंखे नम हो गई.
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जेएलकेएम नेत्री ने सरकार को ठहराया दोषी

जेएलकेएम नेत्री पूजा महतो ने ऐसी घटना के लिए सरकार को दोषी ठहराया. कहा मुआवजा दे देने से बेटा वापस नहीं लौटेगा, इकलौता कमाने वाला सदस्य था. इस मौत ने भरे पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया है. जगदीश महतो अपने बूढ़े माता-पिता का इकलौता सहारा थ. विधवा हो चुकी पत्नी अब दो छोटे- छोटे बच्चों का भरण-पोषण कैसे करेगी. इसलिए सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए झारखंड में रोजगार की अवसर पैदा करे. ताकि रोजगार की तलाश में दूर देश-प्रदेश जाने वाले युवा अपनी जान ना गवाएं, दिहाड़ी मजदूर बनकर ही सही अपने गांव-घर में ही परिवार के साथ मेहनत मजदूरी कर पालन पोषण करे. ताकि ऐसी घटना की पुनरावृति न हो, किसी का घर बर्बाद ना हो.
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