
जमशेदपुर : जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय. के मानवीकी संकाय की ओर से विश्वविद्यालय के सुवर्णरेखा ऑडिटोरियम में हिन्दी साहित्य के कालजयी लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं प्रेमचंद के चित्र पर पुष्प अर्पण से हुई। इस अवसर पर संस्कृत विभाग की छात्रा आस्था शर्मा ने गणेश वंदना प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. नूपुर अंविता मिंज ने स्वागत भाषण देते हुए प्रेमचंद के साहित्यिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रेमचंद को समाज का दृष्टिकोण बदलने वाला यथार्थवादी साहित्यकार बताया।
कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति दर्ज कराते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजेंद्र कुमार जायसवाल ने प्रेमचंद को समाज में सकारात्मक सोच का संचार करने वाला लेखक बताया। हिन्दी विभाग की छात्रा पूजा कुमारी ने प्रेमचंद का जीवन परिचय प्रस्तुत कर, सभी को उनके संघर्षों और उपलब्धियों से अवगत कराया।
प्रेमचन्द के ‘ईदगाह’ की हुई मार्मिक प्रस्तुति
मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) सी. भास्कर राव ने प्रेमचंद के संघर्षों और उनकी रचनाओं की प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने अपनी कथात्मक शैली को उजागर करते हुए, ईदगाह कहानी को बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। और प्रेमचंद को एक ऐसे रचनाकार बताया जो बाल मन से लेकर प्रौढ़ मन तक सभी वर्गों को अपनी रचनाओं से प्रभावित करते हैं। कार्यक्रम के दौरान हिन्दी विभाग की छात्रा वर्षापति ने “मैं प्रेमचंद हूँ” शीर्षक पर एक प्रभावशाली नाटकीय प्रस्तुति दी, वहीं उर्दू विभाग की छात्रा फलक ज़रीन ने ‘दो बैलों की कथा’ का भावपूर्ण वाचन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसके पश्चात स्नातक चतुर्थ वर्ष की छात्राएँ — एकता कुमारी, दीपिका गोप, रूबी पैड़ा और पूजा तिवारी ने प्रेमचंद की रचनाओं के पात्रों पर आधारित नाटकीय चरित्र-परिचय प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
प्रेमचन्द के आने से हिंदी कथा साहित्य में आया परिवर्तन
मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार साहु ने मुख्य अतिथि के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया, एवं प्रेमचंद के आगमन के बाद हिन्दी कथा साहित्य में आए परिवर्तन की चर्चा की। कार्यक्रम का समापन दर्शन शास्त्र विभाग की अध्यक्ष श्रीमती अमृता कुमारी द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी विद्वतजनों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, छात्र-छात्राएँ एवं साहित्यप्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर आयोजित यह आयोजन साहित्यिक चेतना के पुनर्जागरण का सशक्त माध्यम बन गया। इस अवसर पर हिन्दीविभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पा कुमारी, उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ रिजवाना परवीन विकास पदाधिकारी डॉ० सलोमी कुजूर दर्शनशास्त्र की अध्यक्ष अमृता कुमारी सीवीसी डॉ० अन्नपूर्ण झा समेत अन्य मौजूद रहे।
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