
चाईबासा: सदर अनुमंडल कार्यालय के पास सोमवार को महिला कांग्रेस कमिटी, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा जिलाध्यक्ष नितिमा बारी के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया. यह प्रदर्शन महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने, महिला सुरक्षा को बढ़ावा देने और ओबीसी कोटे की महिलाओं को आरक्षण में शामिल करने की मांग को लेकर किया गया.
महिला अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने की चेतावनी
धरना-प्रदर्शन के दौरान महिला कांग्रेस के पदाधिकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर जोरदार नारेबाजी की और अपनी मांगों को उचित ठहराया. इस अवसर पर महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष नितिमा बारी ने कहा कि अगर महिला आरक्षण कानून लागू नहीं किया गया, तो महिला कांग्रेस की कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगी.
महिला आरक्षण की ऐतिहासिक शुरुआत
बारी ने आगे कहा कि महिलाओं को राजनीति में भागीदारी देने की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पंचायत और स्थानीय निकायों में आरक्षण देकर की थी. वहीं, संसद और विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण का बिल भी सबसे पहले यूपीए सरकार के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रयासों से पारित हुआ था.
भा.ज.पा. सरकार पर निशाना
कांग्रेस जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर दास ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि 2014 से लेकर 2024 तक भाजपा सरकार ने महिला आरक्षण कानून को पास नहीं किया, जबकि इसके लिए कांग्रेस ने समर्थन दिया था. यह स्पष्ट बहुमत होते हुए भी केंद्र सरकार ने महिलाओं के हित में कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
धरना प्रदर्शन में शामिल अन्य नेता
धरना प्रदर्शन को जिला बीस सूत्री सदस्य त्रिशानु राय, प्रखंड अध्यक्ष दिकु सावैयां, जया सिंकु, शकीला बानो, लाली दास और अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया.इस धरना-प्रदर्शन में सत्यशिला हेम्ब्रम, सावित्री सिरका, गीता पुरती, मालती कालुण्डिया, रीता पुरती, राईमुनी कुंटिया, रानी सुंडी, लक्ष्मी बेसरा, सिदीयू बानरा, गोपाल बोदरा, दशमती देवगम, बिमला सुंडी, गोरवारी देवगम, सुनीता लकड़ा, गुरुबारी बारी, पालो सुंडी, नंदी देवगम, सुशील दास, जेमा पुरती, सीमा सुंडी सहित महिला कांग्रेस के कई पदाधिकारी उपस्थित थे.
यह प्रदर्शन महिला आरक्षण विधेयक के लागू होने की आवश्यकता को उजागर करता है और महिलाओं के लिए सशक्तीकरण का आह्वान करता है.
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