
देवघर: देवघर में चल रहे श्रावणी मेले में इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के माध्यम से भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुरक्षा का एक अनूठा प्रयोग हो रहा है. जिला प्रशासन ने मेला क्षेत्र में कुल 200 से अधिक एआई-सक्षम हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगाए हैं. इनमें कई फेस रिकॉग्निशन कैमरे शामिल हैं, जो लापता या भटके हुए कांवरियों को उनके परिजनों से मिलाने में अत्यंत कारगर साबित हो रहे हैं.
फेस रिकॉग्निशन तकनीक का इस्तेमाल करके प्रशासन अब तक कई लापता श्रद्धालुओं को सुरक्षित उनके परिवार से मिलवा चुका है. इसकी प्रक्रिया बेहद सरल है. लापता व्यक्ति की एक फोटो को स्कैन किया जाता है, जिसे फिर एआई कैमरे द्वारा रिकॉर्ड की गई फुटेज में चेहरों से मिलाया जाता है. हजारों की भीड़ में भी यह कैमरा तुरंत उस व्यक्ति की आखिरी उपस्थिति और गतिविधि को पहचान लेता है.
डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के अनुसार, मंदिर परिसर में 30 और कतार रूटलाइन, दुम्मा व अन्य इलाकों में 170 कैमरे लगाए गए हैं. ये कैमरे हर श्रद्धालु के चेहरे को स्कैन कर एक सुरक्षित डेटाबेस में रिकॉर्ड करते हैं. जैसे ही किसी लापता कांवरिए की सूचना मिलती है, उस व्यक्ति की फोटो सिस्टम में डाली जाती है. एआई एल्गोरिदम तुरंत उस व्यक्ति की आखिरी उपस्थिति की लोकेशन और समय बता देता है.
लापता कांवरिए की पहचान होते ही उसकी तस्वीर संबंधित क्षेत्र की एलईडी स्क्रीन पर फ्लैश कर दी जाती है. इसके साथ ही सूचना केंद्र, पुलिस और अन्य ड्यूटी कर्मियों को अलर्ट कर दिया जाता है. इसके बाद स्पेशल टीम संबंधित श्रद्धालु को परिजनों से मिलवा देती है.
इस पूरे सिस्टम को आईटी विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों की विशेष टीम चौबीसों घंटे संभाल रही है. हर अलर्ट पर तत्परता से कार्रवाई की जा रही है. इससे न सिर्फ श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है, बल्कि मेला प्रबंधन में तकनीक की भूमिका का प्रभावशाली उदाहरण भी प्रस्तुत हो रहा है.
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