
जमशेदपुर: आज डीबीएमएस कॉलेज में बी.एड. के छात्रों और शिक्षकों के लिए एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया, जिसका विषय था ‘योगिक हैप्पीनेस’. इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर सुनील नंदवानी उपस्थित थे, जिन्होंने जीवन में सच्ची खुशी की खोज के बारे में महत्वपूर्ण विचार साझा किए.
खुशी की तलाश: एक भ्रम
डॉक्टर सुनील नंदवानी ने सत्र की शुरुआत करते हुए कहा, “हम अक्सर खुशी के पीछे दौड़ते रहते हैं. हर बार हमारे सामने एक गाजर लटका दी जाती है, जिसे पाने के लिए हम अपनी पूरी जिंदगी दौड़ते रहते हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि सच्ची खुशी हमारे अंदर ही है और हमें बाहरी चीजों पर निर्भर रहने की बजाय आत्मा की गहराई में खुशी को महसूस करना चाहिए.
क्षणिक खुशी के झांसे में न आएं
उन्होंने कहा कि हम यह गलती करते हैं कि हमें बड़ा घर, बांग्ला, मोटर कार, टी.वी., फ्रिज जैसी चीजों से खुशी मिल जाएगी. लेकिन यह सब सिर्फ क्षणिक खुशी है, जो लंबे समय तक टिक नहीं सकती.
धार्मिक ग्रंथों से प्रेरणा
डॉक्टर नंदवानी ने महाभारत, रामायण, भगवद गीता, बाइबल और गुरु ग्रंथ साहिब से उदाहरण देते हुए यह बताया कि असली खुशी को कैसे पाया जा सकता है. उन्होंने कहा, “जब हम प्रभु को अपने जीवन में पहले स्थान पर रखते हैं, तो बाकी सारी चीजें अपने आप सही स्थान पर आ जाती हैं.” जब एक श्रोता ने उनसे पूछा कि ‘आपको किसने दुख दिया?’, तो उनका जवाब था, “मेरी अपनी उम्मीदों और ख्वाइशों ने ही मुझे सबसे ज्यादा दुख दिया है. अगर हम किसी से उम्मीद न करें, तो दुख भी नहीं मिलेगा.”
सत्र में महत्वपूर्ण उपस्थितियां
इस विशेष सत्र में डीबीएमएस ट्रस्ट के चेयरपर्सन बी. चंद्रशेखर, सचिव श्रीप्रिया धर्मराजन, प्राचार्या डॉ. जूही समर्पिता और अन्य शिक्षक गण उपस्थित थे. छात्रों और शिक्षकों ने इस सत्र में अनेक प्रश्न पूछे और डॉक्टर नंदवानी से मार्गदर्शन प्राप्त किया.कार्यक्रम की शुरुआत में उप प्राचार्य डॉ. मोनिका उप्पल ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम के समापन में धन्यवाद ज्ञापन बी.एड. की छात्रा शोमिनी ने किया.
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