
बजट 2025 को लेकर शिक्षाविद्,छात्र एवं दिव्यांगजनों की प्रतिक्रियाएं
जमशेदपुर डेस्क
हर वित्तीय वर्ष की तरह 2025-26 के केंद्रीय बजट को लेकर आम जनता की विशेष रूप से मध्यम वर्ग और टैक्सपेयर वर्ग की अपेक्षाएं ज्यादा हैं, महंगाई, बढ़ती कीमतों और बढ़ते टैक्स बोझ के बीच, ये वर्ग इस बार सरकार से राहत की उम्मीदें कर रहा है. शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनो सदनों को संयुक्त रुप से संबोधित करते हुए कहा कि भारत जल्द दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और उनसे होने वाले बदलावों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि लोन और बीमा को सबके लिए आसान बनाया है. हमारी सरकार लगातार मिशन मोड में काम कर रही है, जिसका फायदा भी देखने को मिल रहा है. विदेशों से जमकर निवेश आ रहा है. इसके चलते देश के युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. ऐसे में ‘रडार न्यूज 24′ ने विभिन्न वर्ग के लोगों से बजट 2025 को लेकर उनके विचार जानने का प्रयास किया. प्रस्तुत है एक रिपोर्ट …..
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बजट में दिव्यागं लोगों के लिए विशेष प्रावधान हो – डॉ विशेश्वर

ग्रेजुएट कॉलेज, जमशेदपुर के बीएड विभागाध्यक्ष का कहना है कि वृद्ध, विधवा और दिव्यांग लोगों को केंद्रीय बजट एवं राज्य सरकार के बजट का इंतजार रहता है. लोगों को उम्मीद रहती है कि सरकार उचित निर्णय बजट में करेगी. लेकिन हर साल निराशा ही हाथ लगती है. आजादी के 76 साल बाद भी हम लोगों का वही स्थिति है, चाहे किसी की भी सरकार रहे. हम लोगों को दैनिक जीवन से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सरकारी नौकरियों में चार परसेंट का आरक्षण नियम का कठोरता पूर्वक पालन एवं अन्य समस्याओं से खुद झेलना पड़ता है. हम लोग की मांग सरकार तक नहीं पहुंच पाती है. जिसके कारण हम लोग अपेक्षा का शिकार होते हैं. सरकार को लाचार लोगों पर खासकर वृद्ध, विधवा और दिव्यांग पर विशेष ध्यान देते हुए बजट में विशेष प्रावधान करने चाहिए.
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बजट में दिव्यांगों के लिए दीर्घकालिक एवं समग्र दृष्टिकोण अपनाएं सरकार : सुदीप्ता दास

ग्रेजुएट कॉलेज, वाणिज्य विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सुदीप्ता दास का कहना है कि समाज के कई क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद दिव्यांग व्यक्तियों के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं. केंद्रीय बजट में दिव्यांगों के लिए पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता, जिसके कारण उनकी समस्याओं का समाधान अधूरा रह जाता है. स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और यहां तक कि बुनियादी खाद्य आपूर्ति तक पहुंचने में भी उन्हें लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ता है. एक कारण यह हो सकता है कि दिव्यांगता को ‘कल्याण’ और ‘लागत-आधारित दृष्टिकोण’ से देखा जाता है, जिससे कुछ कल्याणकारी योजनाओं के लिए सीमित वित्तीय संसाधन आवंटित किए जाते हैं. यह दृष्टिकोण विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में दीर्घकालिक ‘निवेश’ की आवश्यकता को नजरअंदाज करता है. शारीरिक अक्षमता से जुड़े मुद्दों को केवल सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से देखना पर्याप्त नहीं है. इसके लिए मानव पूंजी के योगदान को भी साकारात्मक रूप में समझने की जरूरत है. इस दिशा में एक दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण अपनाना अनिवार्य है.
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शिक्षा व्यवस्था में सुधार पर विशेष ध्यान दे सरकार : अमर तिवारी

जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज के छात्र अमर कुमार तिवारी का कहना है कि बजट 2025 में सरकार को युवाओं को सशक्त बनाने के लिए प्राइवेट अथवा सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही नियुक्ति पर जोर देना चाहिए, वहीं उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अंतर्रराष्ट्रीय स्तर के मानक आधार निर्धारित करनी चाहिए ताकि शिक्षण व्यवस्था में एक रुपता के साथ गुणवत्तापूर्ण सुधार हो सके. सरकार से मांग करते हैं कि बजट में उच्च शिक्षा अंतर्गत कॉलेजों को मॉडल कॉलेजो में बदलने और सरकारी यूनिवर्सिटी के सुधार पर विशेष ध्यान दे, तभी देश विकास करेगा.
बजट शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर केंद्रित हो : अमन कुमार सिंह

करीम सिटी कॉलेज के छात्र अमन कुमार सिंह का कहना है कि भारत का युवा वर्ग देश का भविष्य है, और बजट 2025 से उन्हें काफी उम्मीदें है. इस वर्ष का बजट शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर केंद्रित हो. पिछले बजट का 44% हिस्सा, यानी 19,74,972 करोड़ रुपया, पूंजीगत व्यय (11,11,000 करोड़ रुपया), रक्षा (5,93,537 करोड़ रुपया), और सड़क व परिवहन (2,70,435 करोड़ रुपया) जैसे क्षेत्रों को आवंटित किया गया था, जो बुनियादी ढांचे के विकास व देश की रक्षा पर केंद्रित था. हालांकि, शिक्षा मंत्रालय को केवल 1.2 लाख करोड़ रुपया (2.51%) और स्वास्थ्य मंत्रालय को 89,155 करोड़ रुपया (1.98%) आवंटित किए गए थे. बढ़ती जनसंख्या और प्रतिस्पर्धा को देखते हुए इन क्षेत्रों का बजट बढ़ाना आवश्यक है, बेहतर शिक्षण संस्थान, तकनीक आधारित शिक्षा, और उच्च गुणवत्ता के शिक्षकों की जरूरत है, रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बजट में वृद्धि आवश्यक है, ताकि भारत वैश्विक स्तर पर अनुसंधान में अग्रणी बन सके. साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास प्राथमिकता होनी चाहिए.
बढ़ती बेरोजगारी युवाओं की सबसे बड़ी चिंता है. सरकार से उम्मीद है कि वह रोजगार सृजन, स्टार्टअप्स और कौशल विकास पर ध्यान दे. ठोस योजनाओं और उद्यमिता के प्रोत्साहन से युवाओं का भविष्य उज्जवल होगा.
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