
सरायकेला-खरसावां: सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने कहा कि साहित्य के माध्यम से सामाजिक चिंतन और संस्कृति का संरक्षण संभव है. उन्होंने मिथिला समाज के प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान यह विचार साझा किए. उनका मानना है कि मासिक और वार्षिक साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन से साहित्यकारों और आमजन के बीच संवाद सुलभ हो सकता है. इसके माध्यम से विविध दृष्टिकोणों को समझने और सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने का अवसर मिलता है.
मैथिली साहित्य और संस्कृति का संरक्षण
मिथिला समाज के प्रतिनिधि सरायकेला उपायुक्त से राष्ट्रीय साहित्य उत्सव में मैथिली को स्थान देने के लिए आभार व्यक्त करने पहुंचे थे. इस दौरान उपायुक्त ने अपने मिथिला प्रवास और मैथिली कवियों विद्यापति, नागार्जुन जैसे रचनाकारों की रचनाओं को स्मरण करते हुए अपनी संवेदनाएं साझा कीं. उन्होंने मैथिली समाज द्वारा प्रकाशित वार्षिक कैलेंडर की सराहना की, जो सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए त्योहारों और तिथियों का समावेश करता है.
साहित्यिक संरक्षण की उम्मीद
मिथिला समाज के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त को पारंपरिक पाग, चादर और बुके भेंट कर सम्मानित किया. प्रतिनिधियों ने आशा व्यक्त की कि मैथिली साहित्य, चित्रकला और संस्कृति के संरक्षण में उपायुक्त का सहयोग मिलेगा.
कोल्हान में मैथिली भाषियों का योगदान
मिथिला समाज के साहित्यकार अशोक अविचल ने कोल्हान क्षेत्र में रह रहे तीन लाख से अधिक मैथिली भाषियों और उनकी गतिविधियों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गम्हरिया और आदित्यपुर में लगभग 60,000 मैथिली भाषी निवास करते हैं. यहां साहित्यिक कार्यक्रमों को निरंतर आयोजित करने के लिए उपायुक्त से सहयोग का आग्रह किया गया.
प्रतिनिधिमंडल की भागीदारी
मिथिला सांस्कृतिक परिषद, अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद, और अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त को मैथिली समाज के प्रयासों से अवगत कराया. प्रतिनिधिमंडल में मोहन ठाकुर, ललन चौधरी, पंकज कुमार झा, अनिल झा, प्रमोद कुमार झा, और कई अन्य प्रमुख सदस्य शामिल रहे. सभी ने एकजुट होकर मैथिली साहित्य और संस्कृति के संरक्षण के लिए कदम उठाने की अपील की.
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