
सरायकेला: नीति आयोग, नई दिल्ली की टीम ने सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड में आकांक्षी प्रखंड विकास कार्यक्रम के तहत किए जा रहे विकास कार्यों का निरीक्षण किया. यह दौरा आज दूसरे दिन भी जारी रहा, जिसमें विभिन्न पंचायतों का भ्रमण किया गया.
गम्हरिया प्रखंड में विकास कार्यों का निरीक्षण
नीति आयोग की टीम में निदेशक, युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार बंगाराराजु वी.वी के थाटावर्थी और उपसचिव, उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग ललित कुमार सिंह शामिल थे. दोनों अधिकारियों ने गम्हरिया प्रखंड के रापचा पंचायत के पिंडरा बेड़ागांव में एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) द्वारा चलाए जा रहे चूजा और बतख पालन केंद्र का निरीक्षण किया. इसके अलावा, पंचायत भवन यशपुर में पशु टीकाकरण, एसएससी द्वारा किए जा रहे खेती, आचार निर्माण, सैनिटरी पैड्स, और थैला पतल-डोंगा निर्माण के कार्यों का भी जायजा लिया गया. इस दौरान, लाभुकों से संवाद स्थापित किया गया और समूह की दीदियों को अपने स्वरोजगार से हो रहे लाभ के बारे में बताया गया. इसके साथ ही उन्हें अन्य क्षेत्रों में स्वरोजगार से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया.
किसानों से संवाद और सिंचाई व्यवस्था की समीक्षा
नीति आयोग की टीम ने गंजिया बराज में डैम द्वारा भूमिगत पाइपलाइन के माध्यम से किसानों को खेती में सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई. इस संबंध में जानकारी ली गई और किसानों के साथ संवाद किया गया. यशपुर पंचायत के विभिन्न गांवों के किसानों ने बताया कि पहले केवल बरसात या ठंड के मौसम में ही खेती हो पाती थी, लेकिन अब पाइपलाइन के माध्यम से सिंचाई की सुविधा मिलने से वे हर मौसम में (12 महीने) सब्जी, फल और अन्य कृषि उत्पादों की खेती कर पा रहे हैं.
पलायन से मुक्ति और रोजगार के अवसर
किसानों ने यह भी बताया कि पहले खेती की कमी के कारण उन्हें रोजगार के लिए अन्य जिलों या राज्यों में पलायन करना पड़ता था, लेकिन अब वे अपने ही खेतों में उपजाऊ खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. उन्हें अब रोजगार के लिए पलायन करने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है. नीति आयोग के प्रतिनिधियों ने किसानों को नई तकनीकों का उपयोग समझने और सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने की सलाह दी. इसके अलावा, उन्होंने अन्य किसानों को भी खेती में योगदान देने के लिए प्रेरित किया.
नीति आयोग की टीम ने कहा कि खेती के कार्यक्रम से न केवल स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे.
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