
संताली उच्च शिक्षा और शोध की कारगर भाषा हो सकती है : हरि कुमार केसरी
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जमशेदपुरः “झारखंड में संताली समेत तमाम क्षेत्रीय जनजातीय मातृभाषाओं में सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास कर रही है. संताली जिसे आठवीं अनुसूची में जगह मिली है, संताली में कक्षा 1 से 8 तक अनिवार्य शिक्षा देने का निर्णय लिया गया है. झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के मंत्री रामदास सोरेन ने संथाल इंटेलेक्चुअल एसोसिएशन (ए. एस आई ए) और एलबीएसएम कॉलेज के संताली विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ‘भारत के शैक्षणिक विकास में संताली मातृभाषा का योगदान ‘ के उद्घाटन सत्र में ये बातें कहीं.
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सोरेन ने बताया कि इस सन्दर्भ में राज्यपाल व मुख्यमंत्री से अनुमति मिल गई है. 15 दिनों के अंदर इस पर कार्य शुरु किया जाएगा. साथ ही सभी विश्वद्यालयों में वीसी को नियुक्त करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी. उन्होंने जल्दी ही रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय में शिक्षकों को नियुक्त करने की बात कही. उन्होंने बताया कि 24 वर्षों के बाद भी राज्य में भाषागत विकास नहीं हुआ है, लेकिन आने वाले समय में उनकी सरकार उन सारे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कृतसंकल्प है, जो राज्य निर्माण के समय निर्धारित किए गए थे.
उन्होंने को-ऑपरेटिव कॉलेज में लॉ कॉलेज खोलने, लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कॉलेज और घाटशिला कॉलेज में बी. एड. कॉलेज के साथ 300 सीट वाले लड़कियों के छात्रावास खोलने की बात भी कही.
संताली उच्च शिक्षा और शोध की कारगर भाषा हो सकती है.
उन्होंने इस अवसर पर संथाली भाषा में एशिया (ए. एस आई ए – संथाल इंटेलेक्चुअल एसोसिएशन) द्वारा लोकार्पित पुस्तक “धाड़ दिसोम” तथा भूगोल विभाग के डा. संतोष कुमार द्वारा लोकार्पित पुस्तक “अंडरस्टैंडिंग इंडिया” के लिए दोनों को बधाई दी.
सेमिनार के मुख्य संरक्षक सह कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति हरि कुमार केसरी ने कहा कि आदिवासी जीवन शैली, प्रकृति और पर्यावरण, औषधीय ज्ञान, प्रेम, संवेदना और लोकधर्मिता को संताली भाषा में बखूबी व्यक्त किया जा सकता है. संताली उच्च शिक्षा और शोध की कारगर भाषा हो सकती है. इसमें उच्चस्तरीय शोध को बढ़ावा मिले, यही राष्ट्रीय सेमिनार का उद्देश्य है. शोध एक ऐसा ईंधन है जो उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है.
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संताली भाषा के संरक्षण व विकास को लेकर पोटका विधायक संजीव सरदार ने संथाली भाषा के संरक्षण व विकास में हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया. महाविद्यालय के प्राचार्य बी. एन. प्रसाद ने सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति की सराहना करते हुए साहित्य व विज्ञान के क्षेत्र में सरकार द्वारा पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध कराने का आग्रह किया. उन्होंने कोल्हान विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी को पूरा करने का तथा राज्य में बायो-टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी विकास करने का अनुरोध किया. एकलव्य विद्यालयों को प्रारंभ कराने, शोध को बढ़ावा देने, मातृभाषा में ज्ञान-विज्ञान का विकास करने और उसे बढ़ावा देने की बात कही.इसके पूर्व डॉ. अशोक कुमार झा पूर्व प्राचार्य एल.बी.एस.एम. कॉलेज ने कहा कि मौलिक शोध और अन्वेषण के लिए मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा आवश्यक है, जैसा एनईपी 2020 का उद्देश्य है.
यह लोग उपस्थित थे
उद्घाटन सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और पं. रघुनाथ मुर्मू की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई. इस अवसर पर मुख्य रुप से गोपाल हंसदा ( रिसर्च स्कॉलर, विश्व भारती शांति निकेतन), डॉ. रामू हेंब्रम ( प्राध्यापक, विश्व भारती शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल), डॉ. धनेश्वर मांझी ( प्राध्यापक, विश्व भारती शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल), डॉ. सुनील मुर्मू ( टी आर एल हेड इंचार्ज, कोल्हान यूनिवर्सिटी चाइबासा), श्री रामु टुडू ( प्राध्यापक, लालगढ़ डिग्री कॉलेज, लालगढ़, पश्चिम बंगाल), डॉ. तपन कुमार खानराह ( डीन फैकल्टी ऑफ़ ह्यूमैनिटीज, कोल्हन यूनिवर्सिटी चाइबासा), डॉ. नाकु हांसदा ( एसोसिएट प्रोफेसर, एचओडी डिपार्टमेंट ऑफ़ ओड़िआ सह इंचार्ज संताली, संबलपुर यूनिवर्सिटी उड़ीसा), संजीव मुर्मू (प्राध्यापक, संताली विभाग, एल.बी.एस.एम. कॉलेज, प्रो. पुरुषोत्तम प्रसाद, प्रो. अरविंद प्रसाद पंडित, प्रो . विनोद कुमार, डॉ. विनय कुमार गुप्ता, डॉ. विनय कुमार सिंह ( राजनीति विज्ञान, ग्रेजुएट कॉलेज, जमशेदपुर), डॉ. विजय प्रकाश, प्रो. संतोष राम, डॉ. जया कक्षप, डॉ .सुष्मिता धारा, प्रो.स्वीकृति, डॉ. शबनम, डॉ. रानी, प्रो. प्रमिला, प्रो. शिप्रा, प्रो.सुमित्रा प्रो. लुसी रानी मिश्रा, प्रो. प्रीति गुप्ता, प्रो. सीमा कुमारी , प्रो. अजय कुमार, प्रो. प्रीति पांडे, प्रो. पूजा गुप्ता, प्रो. अनिमेष बक्शी , प्रो. चंदन, सौरभ कुमार वर्मा, पुनीता मिश्रा, प्रियंका सिंह , ज्योति प्रभा , ममता मिश्रा, रामप्रवेश सिंह, हरिहर टुडू गोपीनाथ, अजीत कुमार सिंह, विनय कुमार, राजेश कुमार, मिहिर डे साथ ही बड़ी संख्या में शोधार्थी और छात्र – छात्राएं उपस्थित थे.